लखनऊः किंग जार्ज मेड़िकल काॅलेज ट्रामा सेंन्टर अस्पताल की बदहाल व्यवस्था मरीजों की तकलीफें बढ़ा रही है। हाल यह कि अस्पताल में मरीजों को इंमरजेंसी तक ले जाने के लिए स्ट्रैचर तक नही मिल पाता है। बाहर खड़े स्ट्रेचर केवल एम्बुलेंस के मरीजो को दिया जाता है। जिससे मरीजों के तीमारदार और कर्मचारियों के बीच अक्सर गरमा गरमी और नोंक झोंक भी देखने को मिलती है।
बताते चले लखनऊ का किंग जार्ज मेंड़िकल कालेज प्रदेश का सबसे अच्छा और बेहतर इलाज होने की दशा में प्रदेश के अलग अलग जगहों और दूर दराज से मरीज इलाज के लिए आते है। एक विश्वास के साथ उनका इलाज यहां पर सभ्भव हो सकेगा। अच्छे डाॅक्टर और विशेषज्ञ होने कारण लोग बड़ी दूर दूर से इलाज कराने के लिए आते है। ट्रामा सेंन्टर में अधिकतर इंमरजेंसी केस दिखाई देते है। ऐसे मरीजों को इंमरजेंसी तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर की सससे अधिक आवश्यकता होती है। तीमारदार अपने मरीज को गाड़ी से उतारने के लिए स्ट्रेचर लेने जाते है। तो वहां पर मौजूद कर्मचारी का सीधे तौर पर कहना होता है। यह स्ट्रेचर केवल एम्बुलेंस आने वाले मराजों को दिए जाते है। और जो तीमारदार मरीज को अपने खुद के वाहन से लाते है। तो वह यहां से स्ट्रेचर नही ले सकते है। वो अस्पताल के अन्दर से स्ट्रेचर को ढूंड़कर लाए तब अपने मरीज को इंमरजेसी तक ले जा पाते है। इस लिए वहाॅ पर मौजूद कर्मचारी और तीमारदार के बीच स्ट्रेचर के लिए गरमा गर्मी और तीखी नोकझोंक देखने को मिलती है।
स्टेचर कम मरीज ज्यादाः
आय दिन हो रही सड़क दुर्घटना में लोगों कों अपनी जान गंवानी पड़ रही है। सड़क दुर्घटनाओं में लोगों को शारीरिक क्षति हो सकती है। लखनऊ के आस पास के जिलों से इंमरजेसी मराजों की संख्या प्रतिदिन काफी बढ़ती जाती है। मरीज की संख्या अस्पतालों में बढ़ती जाती है। और स्ट्रेचर बहुत कम संख्या में है। जो सभी मरीजों को इंमरजेन्सी तक भर्ती कराने के लिए अपने मरीज को काफी देर तक अपने गाड़ियों में खड़ा रखना पड़ता है। बड़ी मशक्कत करने के बाद अगर कहीं स्ट्रेचर मिल पाये तो मरीज को वार्ड़ में भर्ती कराया जाता है।
डालीगंज हड्डी अस्पतालः
यहां पर भी मरीजो को वार्ड़ तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर के लिए मरीज का आधार जमा करना पड़ता है। किसी कारणवश अगर मरीज के पास आधार नही तो उसके एवज में स्केवर्टी के रूप में 500 रूपया जमा कराया जाता है। तब जाकर कही उनको मरील ले जाने के लिए स्ट्रेचर मिल पाता है।
बाहर से न लिखे दवा और जांचेः डिप्टी सीएम बृजेश पाठक
जहाँ एक उ0 प्र0 के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मरीजों केे बेहत इलाज के लिए अस्पतालों व्यवस्थाएं दुरस्थ करने में लगे है। स्वास्थ मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि किसी भी तरह से डाॅक्टर कोई जाँचे, दवा बाहर न लिखी जाये। सभी तरह की जाॅचें व दवा अस्पताल के अन्दर से होगी। लेकिन इसके बावजूद भी जिला अस्पताल के डाॅक्टर सीएससी, पीएचसी के डाॅक्टर मरीजों को बाहर से दवाईयाॅ और जांचे लिख रहे है। जिससे गरीब घरों के मरीजों को इलाज कराने मे कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है। इस तरह से डिप्टी सीएम के आदेशों खुला आम धाज्जियाँ उड़ाई जा रही है।