Kerala News: केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर केरल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार जानबूझकर रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कार्रवाई नहीं कर रही है, क्योंकि इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी शामिल हैं। नड्डा ने सवाल उठाया कि रिपोर्ट के निष्कर्षों पर न्याय में इतनी देरी क्यों हो रही है और राज्य सरकार इसका खुलासा करने में क्या कठिनाई महसूस कर रही है।
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हेमा समिति की रिपोर्ट का मुद्दा
पिछले महीने, मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न पर आधारित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट का संपादित संस्करण सार्वजनिक किया गया। रिपोर्ट में महिला पेशेवरों के शोषण, उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इस रिपोर्ट ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर भेदभाव और शोषण का खुलासा किया है।
केरल सरकार का रुख
हाल ही में, केरल सरकार ने हेमा समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया, जिसमें बताया गया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं का बड़े पैमाने पर शोषण होता है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई महिला इस शोषण का विरोध करती है, तो उसे इंडस्ट्री से बैन कर दिया जाता है। इसमें प्रमुख डायरेक्टर्स, एक्टर्स और प्रोड्यूसर्स का भी नाम शामिल है। रिपोर्ट में 235 पृष्ठों में गवाहों और आरोपियों के नाम संपादित करने के बाद कहा गया है कि इंडस्ट्री पर 10 से 15 पुरुष निर्माता, निर्देशक और अभिनेता का नियंत्रण है।
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विशेष जांच दल (SIT) की घोषणा
रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद, अभिनेता मोहनलाल ने 25 अगस्त को केरल सरकार से मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) के गठन की घोषणा की। यह कदम राज्य में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के उत्पीड़न के मामले की गहराई से जांच के लिए उठाया गया है। इस पूरी घटनाक्रम ने केरल में फिल्म इंडस्ट्री और महिलाओं के अधिकारों पर महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। भाजपा के आरोप और SIT की घोषणा से इस मामले की जांच और भी जटिल हो गई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि केरल सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है।
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