Kedarnath Yatra 2025: उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर घोषित कर दी गई है। इस वर्ष 2 मई से केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होगी। इसके साथ ही चार धाम यात्रा भी इसी दिन से प्रारंभ हो जाएगी। केदारनाथ धाम में स्थित ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह पंच केदार में प्रमुख स्थान रखता है। हर साल, शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण यह छह महीने के लिए बंद कर दिया जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है।
भैरव पूजा और बाबा केदार की डोली यात्रा

बताते चले कि, महाशिवरात्रि के दिन बाबा केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि निर्धारित की गई। इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में भैरव पूजा का आयोजन 27 अप्रैल को होगा। इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली यात्रा की शुरुआत होगी। 28 अप्रैल को बाबा की डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी, 29 अप्रैल को फाटा में रुकेगी, और 30 अप्रैल को गौरीकुंड पहुंचेगी। 1 मई को बाबा की डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी और 2 मई को सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।
धाम में बर्फ की चादर, भक्तों का स्वागत होगा

केदारनाथ क्षेत्र का पूरा इलाका इस समय बर्फ से ढका हुआ है और धाम में सन्नाटा है। लेकिन जैसे ही कपाट खोले जाएंगे, यह क्षेत्र भक्तों से गुलजार हो जाएगा। ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में विद्वान आचार्यों ने कपाट खुलने की तिथि तय की। बाबा केदारनाथ के चल विग्रह उत्सव डोली के ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करने की तिथि भी निर्धारित की गई है।
धार्मिक महत्ता और विशेष पूजा

केदारनाथ मंदिर मेरू और सुमेरू पर्वत की तलहटी में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, छह महीने तक भक्त बाबा केदारनाथ की पूजा करते हैं, जबकि शीतकाल में देवता स्वयं मंदिर में पूजा करते हैं। शिवरात्रि पर्व के दौरान शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है और यहां बाबा केदारनाथ का विशेष पूजन चल रहा है। साथ ही, बाबा केदारनाथ के धाम खुलने को लेकर संत-महंतों के बीच विशेष चर्चा भी की गई है।
संत-महंतों की महत्वपूर्ण बैठक
ओंकारेश्वर मंदिर में आयोजित बैठक में संत-महंतों ने बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के समय और तिथि पर विस्तृत चर्चा की। यह तिथि श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्व रखती है, क्योंकि इसके बाद चार धाम यात्रा का आयोजन शुरू होगा।