Kashi Vishwanath Dham: भारत में मंदिरों और तीर्थ स्थलों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन मंदिरों में से एक है।
महादेव को समर्पित बाहर ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। भोलेनाथ के इस पवित्र तीर्थ स्थल को आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। जहां भक्त शिव के आशीर्वाद और मोक्ष प्राप्ति के लिए आते हैं। तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा बाबा विश्वनाथ की नगरी में स्थित इस पवित्र धाम की रोचक बातें बता रहे हैं।
बाबा विश्वनाथ का यह मंदिर काशी के गंगातट पर स्थित है जिसे बनारस और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काशी की कल्पना बिना बाबा के करना संभव नहीं है। यहां दर्शन व पूजन करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
सनातन मान्यताओं के अनुसार दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में भगवान शिव विराजमान है और इसका इतिहास भी बड़ा अनोखा है। बता दें कि इस मंदिर की मूल संरचना का निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा हरि चंद्र ने करवाया था। काशी विश्वनाथ मंदिर को कई आक्रमणों का सामना करना पड़ता था जिसके बाद इसको पुनर्निर्मित किया गया।
मंदिर की संरचना का निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में करवाया था। तो वही मंदिर के स्वर्ण शिखर और गुंबद को बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1939 में बनवाया था। बाबा के इस धाम को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है, शिव भक्तों के लिए यह एक विशेष तीर्थ स्थल है।
छोटे बड़े अनेक मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में छोटे बड़े कई अन्य मंदिर भी है यहां के मुख्य देवता, विश्वनाथ या विश्वेश्वर, ब्रह्मांड के भगवान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र धाम की यात्रा, बाबा के दर्शन और गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है साथ ही जन्म और मृत्यु के बंधन से भी मुक्ति मिलती है।
मंदिर की वास्तुकला
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है जहां भगवान शिव के विश्वनाथ रूप के दर्शन प्राप्त होते हैं। बाबा की नगरी वाराणसी का नाम यहां की वरुना और अशी नदी के नाम पर पड़ा। जो गंगा में जाकर मिलती हैं। इस मंदिर की वास्तुकला और अलंकृत नक्काशी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का समय
महादेव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह जल्दी खुलता है और शाम को देर तक खुला रहता है। यहां दैनिक अनुष्ठान और आरती धार्मिक परंपराओं द्वारा पूर्ण किया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती सुबह 3 बजे से आरंभ हो जाती है जो कि 4 बजे तक होती है।
इसके अलावा भोग आरती सुबह 11 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक होती है। सप्त ऋषि आरती का समय शाम 7 बजे से 8 बजकर 15 मिनट तक रहता है। इसके अलावा श्रृंगार आरती का समय रात 9 बजे से 10 बजकर 15 मिनट तक का है। शयन आरती रात 10 बजकर 30 मिनट से 11 बजे तक होती है।
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कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ?
बता दें कि वाराणसी हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा है जिससे श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों का यहां आना सरल है। वाराणसी का निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से करीब 26 किमी दूर स्थित है।
इसके अलावा यहां की नियमित उड़ाने वाराणसी को दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे मुख्य शहरों से जोड़ने का काम करती है। इसके अलावा वाराणसी जंक्शन और मंडुआडीह रेलवे स्टेशन प्राथमिक रेलवे स्टेशन हैं जहां देशभर से टेनें आती जाती हैं। वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य सड़कों के नेटवर्क से जुड़ा है। इलाहाबाद, लखनऊ और पटना जैसे आस पास के शहरों से बसों और टैक्सियों की बढ़िया सुविधा उपलब्ध है।