Karthigai Deepam 2024:कार्तिगई दीपम तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से दीप जलाने की परंपरा से जुड़ा हुआ है, जिसमें घरों, मंदिरों और सड़कों पर दीपों की चमक से वातावरण को रौशन किया जाता है। इन दीपों के माध्यम से न केवल अंधकार को दूर किया जाता है, बल्कि आध्यात्मिक आनंद और धार्मिक उन्नति का संदेश भी फैलता है।
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कब है कार्तिगई दीपम?
इस वर्ष, 2024 में कार्तिगई दीपम 13 दिसंबर को मनाया जाएगा, जो इसे और भी खास बना देगा। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह तमिल हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आता है, जब विशेष खगोलीय घटनाएं घटित होती हैं।
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कार्तिगई नक्षत्रम की तिथि और समय
2024 में कार्तिगई दीपम के दिन कार्तिगई नक्षत्रम प्रबल रहेगा, जिसकी शुरुआत 13 दिसंबर को सुबह 07:50 बजे से होगी और यह 14 दिसंबर को सुबह 05:48 बजे तक जारी रहेगा। इस खगोलीय संरेखण के कारण यह दिन अत्यधिक शुभ माना जाता है और इस दिन दीप जलाने और भगवान शिव की पूजा करने की विशेष परंपरा है।
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कार्तिगई दीपम का धार्मिक महत्व
कार्तिगई दीपम, तमिल हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है और यह खासतौर पर भगवान शिव से संबंधित है। इस दिन को भगवान शिव के अरुणाचलेश्वर रूप की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के दौरान, शिव भक्त विशेष रूप से अरुणाचल पर्वत पर पूजा करते हैं, जो शिव के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अज्ञानता और अंधकार को नष्ट करने के लिए महादेवी पार्वती के साथ अपने रूप को प्रकट किया था। इसी कारण, इस दिन को ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। तमिल समाज में इस दिन विशेष पूजा, हवन, और दीप जलाने की परंपरा होती है, जो न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करती है, बल्कि एकता और सामूहिक भावना को भी बढ़ाती है।
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पारंपरिक पूजा विधि
कार्तिगई दीपम के दिन विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। भक्त पहले स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और फिर घर के प्रत्येक स्थान पर दीप जलाते हैं। इसके बाद, शिवजी की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें उनके अरुणाचलेश्वर रूप का स्मरण करते हुए मंत्रों का उच्चारण और भव्य दीपमालिका की पूजा की जाती है। इस दिन को लेकर मंदिरों में भी खास आयोजन होते हैं, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।