Ram Mandir के उद्घाटन से पहले कारसेवकों का हुआ सम्मान

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

अलीगढ़ संवाददाता: लक्ष्मन सिंह राघव

  • 13 साल की उम्र में कार सेवक राजू नेपाली भी पहुंचा था अयोध्या, बयां की दास्तान

Aligarh: अयोध्या में वर्ष 1990 में कार सेवा करने वाले जिले के 65 के करीब प्रमुख लोगों और महिलाओं सहित उनके परिवारों के लोगों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया। वहीं वक्ताओं ने कहा कि राम मंदिर के लिए उन्होंने ओर उनके पूर्वजों ने जो बलिदान दिया है। सरकार ने उनका वह सपना साकार कर दिया हैं। जिले के वार्ष्णेय महाविद्यालय के सभागार कक्ष में रामजन्म भूमि आंदोलन से जुड़े और 1992 में कार सेवा में शामिल कार सेवकों का सम्मान किया गया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि राम मंदिर आंदोलन देश की आजादी के बाद से शुरू हो गया था। इस आंदोलन को गति देने का कार्य अशोक सिंघल ने किया। राम मंदिर को तोड़कर हमारी संस्कृति पर हमला किया गया, तब से लेकर आज तक लाखों लोगों ने बलिदान दिया।

read more: ‘22 जनवरी को Ayodhya नहीं आएंगे भगवान राम’प्राण प्रतिष्ठा को लेकर ये क्या बोल गए तेज प्रताप?

यात्रा अब कुछ ही दिन बाद सफल हो रही

आपको बता दें कि कार सेवकों की यात्रा अब कुछ ही दिन बाद सफल हो रही है। श्रीराम मंदिर के लिए अपना सब कुछ छोड़कर पैदल ही अयोध्या निकले महिलाओं समेत करीब 65 कार सेवकों को वार्ष्णेय महाविद्यालय में रविवार को सम्मानित किया गया है। आप भी जानिये, उस समय क्या हालात थे। किस तरह अयोध्या तक पहुंचे क्या योगदान दिया।

राजकुमार राही ने सुनाई दास्तां

थाना देहली गेट क्षेत्र निवासी कार सेवक राजकुमार राही ने बताया कि वर्ष 1990 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के वक्त उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी। 13 वर्ष की उम्र में उनके अंदर प्रभु श्री रामचंद्र जी को लेकर उनके जहन में एक जुनून था। इसी जुनून के चलते। उनकी सोच थी कि वह देश के काम आ जाए। इसी मकसद को ध्यान में रखकर वह छुपते छुपाते अयोध्या गए थे। नवमान जी के साथ अयोध्या पहुंचकर जब कार सेवा के लिए नाम लिख रहे। लोगों द्वारा रजिस्टर में नाम लिखने के लिए उनकी उम्र पूछी गई। तो उन्होंने रजिस्टर में नाम लिख रहे। लोगों को बताया। कि उनकी उम्र अभी मात्र 13 वर्ष है।

भंडारों में खाना खाकर अपना दिनचर्या बिताया

जिस पर नाम लिख रहे लोगों ने उनसे कहा कि अभी आपकी उम्र कार सेवा की नहीं ओर आप यहां से वापस लौट जाओ। इस दौरान वहां पर लाठी चार्ज हो रही थी। वह छुपते छुपाते घूमकर भंडारों में खाना खाकर अपना दिनचर्या बिताया। वहीं अफरा तफरी के माहौल के बीच एक सप्ताह का समय उनके द्वारा अयोध्या में बिताया गया था।इस दौरान वहां पर पुलिस वालों को जो भी कार सेवक मिल जाता उसकी पुलिस वालों द्वारा पिटाई की जाती थी।वहीं अशोक सिंघल जी के द्वारा गिरफ्तारी देने के लिए कहा गया था। लेकिन उनके द्वारा अपनी गिरफ्तारी नहीं दी गई थी। जिसके कई दिन बाद अयोध्या से छुपाते छुपाते अपने घर वापस अलीगढ़ आ गए।

खजांची राजपूत ने सुनाई दास्तां

कार सेवक खजांची राजपूत का कहना है कि 1990 में जिस वक्त बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया जा चुका था। उस वक्त अशोक सिंघल का सिर फूटा हुआ था।जबकि वह बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के दौरान घटना से दूर थे। उस दौरान 13 साल का लड़का राजू नेपाली उनके साथ था। वहीं गोलीबारी के दौरान कोठारी परिवार के दो सगे भाइयों की सिर पर गोली लगने के चलते मौत हो गई थी। इसके साथ ही बताया। कि चार लोग अपना घर छोड़कर लखनऊ के रास्ते अयोध्या पहुंचे थे। लेकिन करीब 30 वर्ष बाद कार सेवकों के सपना साकार होने जा रहा है। यही वजह है कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्री राम जन्मोत्सव एवं प्रभु श्री राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी जोरों शोरों पर चल रही है। तो इसी कड़ी में जिले के करीब 65 कार सेवकों को वार्ष्णेय महाविद्यालय में सम्मानित किया गया है।

read more: अगर आप भी Cyber Fraud का हो जाए शिकार, तो इस नंबर पर करें कॉल

Share This Article
Exit mobile version