चुनाव रद्द कराने को लेकर कर्नाटक HC ने कही कई अहम बातें…

Mona Jha
By Mona Jha

Karnataka High Court On Corrupt Election Practice: मौजूदा समय में देशभर में चुनावी महौल बना हुआ है और हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने अपना मेनिफेस्टो जारी किया था, जोकि लगातार चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इसी बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी कांग्रेस द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लाए गए मैनिफेस्टो पर आज सुनवाई करते हुए कई अहम टिप्पणी की और दायर याचिका भी खारिज कर दिया.

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मामले पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एम.आई. अरुण की अध्यक्षता वाली एकल सदस्यीय पीठ ने कहा कि, विधानसभा चुनाव के दौरान मेनिफेस्टो में कांग्रेस द्वारा किए गए वादे गलत नीति के मामले हो सकते हैं, लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत इसे भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता. बता दें कि, कांग्रेस विधायक बीजेड जमीर अहमद खान के खिलाफ शंशाक जे. श्रीधर की ओर से इस मामले में कर्नाटक हार्इकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें दावा किया गया था कि, कांग्रेस द्वारा किए गए वादे भ्रष्ट हैं और इसलिए चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए.

परिस्थितियों के तहत उन्हें गलत नीतियां कहा जा सकता है

‘बार एंड बेंच’ वेबसाइट के मुताबिक, दायर याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एम.आई. अरुण ने कहा कि, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 5 गारंटी को सोशल वेलफेयर पॉलिसीस के रूप में माना जाना चाहिए. वे आर्थिक रूप से सही हैं या नहीं, ये पूरी तरह से एक अलग पहलू है. ये अन्य दलों को दिखाना है कि किस प्रकार उक्त योजनाओं का कार्यान्वयन राज्य के खजाने के दिवालियापन के समान है. ये संभव है कि मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों के तहत उन्हें गलत नीतियां कहा जा सकता है, लेकिन भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता.”

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कांग्रेस के मेनिफेस्टों में क्या था?

बता दें कि, पिछले साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में पांच वादे किए थे. इसमें 200 यूनिट बिजली मुफ्त, परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये का भुगतान, बीपीएल परिवार के सदस्यों को 10 किलोग्राम राशन की आपूर्ति, बेरोजगार शिक्षित युवाओं को वजीफा और महिलाओं के लिए राज्य की बसों में मुफ्त यात्रा शामिल हैं. इसको लेकर आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि, किसी पक्ष द्वारा उस नीति के बारे में की गई घोषणा जिसे वे लाने का इरादा रखते हैं,  उसको भ्रष्ट आचरण नहीं माना जा सकता है.

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