भगवा लहराते हुए Ayodhya के लिए रवाना हुए राम आंदोलन मे गोली खाने वाले कार सेवक

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
  • लोगों ने रास्ते मे खाने के लिये सत्तू और ठेकुआ देकर किया विदा
  • अभय ने कहा 20 की उम्र मे कुछ इस कदर ही लोगों ने दी थी अयोध्या के लिया विदाई
  • 33 वर्ष पहले अभय की दादी ने सत्तू और ठेकुआ देकर अयोध्या के लिये किया था विदा

Ayodhya: पश्चिम बंगाल, आसनसोल मोहिसीला के रहने वाले 54 वर्षीय अभय बर्णवाल 33 वर्ष बाद अपने हांथों मे भगवा झंडा लहराते हुए अयोध्या के लिये रवाना हुए। जिस तरह 20 वर्ष की उम्र मे वह अयोध्या के लिये रवाना हुए थे। इन 33 वर्षों मे समय के साथ -साथ पूरे देश मे बहुत कुछ बदल चुका है। यहां तक की अयोध्या भी आज से 33 वर्ष पहले जिस विवादित स्थल पर श्री राम मंदिर बनाने के लिये हजारों -हजार की संख्या मे देश के कोने -कोने से पहुंचे कार सेवकों ने अपने हांथों मे भगवा झंडा लहराते हुए हल्ला बोल दिया था। आज उसी विवादित स्थल पर क़ानून के आदेश पर श्री रामल्ला का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है।

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बहुत सारे कार सेवक इस दुनिया मे नही

22 जनवरी को मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा है, ऐसे मे 33 वर्ष पहले हांथों मे भगवा झंडा लेकर अयोध्या पहुंचे। जिन कार सेवकों पर गोलियां चली थी, आज उनपर उसी स्थल पर फूल बरसाए जाएंगे। उनका स्वागत किया जायेगा। उनको श्री रामलला के मंदिर मे आयोजित होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मे सम्मानित किया जायेगा। हालांकि, सालों बाद मिली इस जीत और सफलता को देखने के लिये ऐसे बहुत सारे कार सेवक इस दुनिया मे नही हैं। पर जो कार सेवक अभी जीवित हैं। उनको व जो मर चुके हैं उनके परिवार के एक -एक सदस्यों को पूरे देश से ढूंढ़कर उनको निमंत्रण कर बुलाया गया है। जिसमे पश्चिम बंगाल आसनसोल के अभय बर्णवाल और कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी हैं। हम बताते चलें की सरद कोठारी और राजकुमार कोठारी अयोध्या श्री राम आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए थे, जिसमे उनकी मौत हो गई थी।

आसनसोल से अयोध्या के लिये विदा

यह दोनों भाई विवादित स्थल के गुम्बज पर अभय के तरह ही भगवा झंडा लहराने वालों मे से एक थे। ऐसे मे कोठारी बंधु इस इतिहासिक पल को देखने के लिये इस दुनिया मे नही रहे, पर उनकी जगह उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी इस भव्य दृश्य को अपनी आंखों से देखेगी और उसका गवाह बनेगी। प्रेरणा बताती हैं की गोली चलाने वाले उनके भाइयों के पैर मे गोली मारते अगर उनको गोली मारना ही था तो, आज वो भी इस इतिहासिक पल का गवाह बनते। वहीं अगर हम अभय की बात करें तो अभय की पत्नी व आसनसोल वासियों ने बहोत ही धूम -धाम से उनको गाजे -बाजे के साथ जय श्री राम के नारे लगाकर आसनसोल से अयोध्या के लिये विदा किया।

इतिहासिक क्षण को देखने के लिये इस दुनिया मे नहीं..

अभय ने कहा वह 33 वर्ष पहले महज 22 वर्ष की उम्र मे करीब 85 कार सेवकों के साथ अयोध्या श्री राम आंदोलन मे शामिल होने के लिये 21 अक्टूबर 1990 को रवाना हुए थे। उस समय उनलोगों की कुछ इस तरह ही विदाई हुई थी। उनकी दादी ने उनको रास्ते मे खाने के लिये सत्तू और ठेकुआ दिया था। आज ना तो दादी है और ना ही उनके साथ अयोध्या श्री राम आंदोलन मे जाने वाले उनके 84 कार सेवक साथी, बावजूद उसके वह आसनसोल से अकेले अपने उन तमाम कार सेवक साथियों की यादें लेकर अयोध्या जा रहे हैं, जो इस इतिहासिक क्षण को देखने और सुनने के लिये इस दुनिया मे नही हैं।

कार सेवकों की याद दिलाई जो इस दुनिया मे नही..

उन्होनें कहा आज आसनसोल वासियों ने उनको रास्ते मे खाने के लिये सत्तू और ठेकुआ देकर उनकी दादी की याद दिला दी। साथ मे जय श्री राम का नारा लगाकर उनकी दी जा रही विदाई उनके अन्य कार सेवकों की याद दिलाई जो इस दुनिया मे नही हैं। एक तरफ जहां अभय की पत्नी ने उनको निर्भय होकर विदाई दी, तो वहीं दूसरी ओर अभय अपनी विदाई समारोह देखकर भाऊक हो उठे और चलती ट्रेन से भगवा झंडा लहराते हुए आसनसोल वासियों को अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए नजर आए।

अयोध्या श्री राम मंदिर आंदोलन के लिये रवाना हुए थे..

बताते चलें की अभय 21 अक्टूबर को अपने 84 कार सेवकों के साथ अयोध्या श्री राम मंदिर आंदोलन के लिये रवाना हुए थे। साढ़े तीन सौ किलोमीटर पैदल चलकर 36 घंटों तक खुदको छुप-छुपाकर रखने के बाद अयोध्या विवादित स्थल तक पहुंचे थे और कोठारी बंधुओं के साथ विवादित गुमबद पर भगवा झंडा लहराया था। जिसके बाद पुलिस द्वारा की गई फायरिंग मे उनको उनके पैर मे गोली लगी थी। अभय श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की मिली निमंत्रण से काफी ख़ुश हैं। वह इस निमंत्रण को भगवान श्री राम का बुलावा मानकर लोगो से यह कहते फिर रहे हैं कि उनको श्री राम ने बुलाया है। श्री राम ने उन्हे खुद निमंत्रण भेजा है। 500 वर्ष बाद रामलल्ला अयोध्या वापस आ रहे हैं, जिस जिनके स्वागत मे वह रहकर खुद इस इतिहासिक पल का गवाह बनेंगे, उनका मानना है की उनका जन्म सफल हो गया, उनकी जीवन की सारी खुशियां उन्हें इस निमंत्रण से मिल गई हैं।

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