Kanpur CMO Drama : कानपुर के CMO कार्यालय में लगभग साढ़े छह घंटे तक हाई-प्रोफाइल नाटक चलता रहा। संशोधित अधिकारियों की तैनाती और विधिक जटिलताओं के बीच दो बॉस—निलंबित डॉ. हरिदत्त नेमी और नए CMO डॉ. उदयनाथ—के बीच चल रही संघर्ष ने प्रशासनिक व्यवस्था को चरम स्थिति में ला दिया। इस बीच कार्यालय का मुख्य गेट पूरी तरह से लॉक कर दिया गया। आखिरकार डॉ. नेमी को पुलिस बल की सहायता से जबरन बाहर निकाला गया और डॉ. उदयनाथ को पदस्थापना देकर मामला शांत हुआ।
नए CMO डॉ. उदयनाथ के आगमन से शुरू हुई लंबी मीटिंग
दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे, डॉ. उदयनाथ सहायक जिला मजिस्ट्रेट व एसीपी के साथ पहुंचे और सीएमओ कार्यालय में आधे घंटे से अधिक समय तक बैठक की। बैठक के दौरान कार्यालय में पुलिस तैनात रही। इसकी वजह स्पष्ट थी कि पिछले दिनों डॉ. नेमी ने कोर्ट स्टे के बाद अचानक कार्यालय में आकर कार्यभार संभाला था, जबकि सरकार ने डॉ. उदयनाथ को नया सीएमओ नियुक्त किया था।
कोर्ट स्टे पर्याप्त नहीं
पुलिस अधिकारियों ने डॉ. नेमी को स्पष्ट रूप से हिदायत दी कि कोर्ट के स्टे के बावजूद शासन की नियुक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। शासन से प्रत्यक्ष आदेश मिलने तक उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। ये निर्देश इस बात पर आधारित थे कि किसी भी अधिकारी को निष्प्रभावी करने के लिए शासनादेश आवश्यक होता है। इस बीच, डॉ. नेमी ने कार्यालय में वकीलों और कर्मचारियों को संबोधित किया और कहा कि कोर्ट का स्टे शासनादेश से ऊपर है। उन्होंने नए आदेश को ‘अवैध’ बताते हुए स्टाफ से आग्रह किया कि उन्हें समर्थन दें और डॉ. उदयनाथ के किसी भी हस्तक्षेप को न मानें। कार्यालय में आरोप-प्रत्यारोप का माहौल बन गया।
फोन पर बातचीत के बाद विदाई
आख़िरकार पुलिस ने डॉ. नेमी को शांति से बाहर निकाला। बाहर निकलते समय उन्होंने किसी से फोन पर बात की और शांति से कार में बैठकर चले गए। इस दौरान पत्रकारों और स्टाफ ने यह देखा कि डॉ. नेमी को वरिष्ठ अधिकारी शांतिपूर्वक ले गए, बिना किसी विवाद के। प्रिय सचिव चिकित्सा, पार्थ सारथी ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. हरिदत्त नेमी को कानपुर से हटाकर महानिदेशक मुख्यालय की नियुक्ति दी गई है। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई शासन के निर्देशानुसार की गई थी।
DM से हुई टक्कर
गुरुवार सुबह 9:30 बजे, कोर्ट से स्टे मिलने के बाद डॉ. नेमी सीधे कार्यालय पहुंचे और CMO की कुर्सी पर बैठ गए। DM जितेंद्र प्रताप सिंह की नसीहत के बावजूद उन्होंने बैठक बुला ली और स्टाफ से कहा कि वे डॉ. उदयनाथ के पत्र को न माने क्योंकि कोर्ट स्टे सुप्रीमो है। बैठक में कर्मचारियों ने उनके पैर छुए, जिससे संवेदनशील माहौल और बढ़ गया। नए नियुक्त CMO डॉ. उदयनाथ ने कार्यालय में एक पत्र जारी किया, जिसमें सभी कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वे निलंबित डॉ. नेमी की किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर न करें और उनका कोई भी आदेश मान्य नहीं होगा। इस पत्र के बाद कार्यालय में तनाव और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई।
जातीय सियासत का रंग
अपने समर्थन में डॉ. नेमी के पक्ष में दलित उत्थान समिति और अन्य संगठनों ने कार्यालय का दौरा किया। उन्होंने डॉ. नेमी का सम्मान करते हुए उनके पक्ष में जमकर समर्थन जताया। इस सियासी समर्थन ने वातावरण को और भड़काया और प्रशासन के लिए चुनौती बढ़ा दी। इस पूरे घटनाक्रम पर DM जितेंद्र प्रताप सिंह और सरकार ने कोई प्रतिक्रिया या स्पष्टीकरण नहीं दिया है। चुप्पी से इच्छुक यह संकेत मिल रहा है कि मामला संवेदनशील और राजनीतिक रूप से दमदार है। प्रशासन चुप है लेकिन कार्रवाई स्पष्ट।
15 दिन की कानूनी जंग और ऑफिस में छुट्टी नहीं
19 जून को DM की सिफारिश पर डॉ. नेमी को सरकारी निलंबन किया गया और ACMO डॉ. उदयनाथ को नया CMO बनाया गया। हालांकि नेमी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में स्टे अर्ज़ी दी और बुधवार को ही स्टे आदेश मिलने के बाद कार्यालय में लौट आए। इसके बाद से दोनों अधिकारियों के बीच विवाद शुरू हो गया, जिसे हाई कोर्ट की स्टे से और प्रशासनिक आदेशों से हल करना चुनौतीपूर्ण रहा। दो CMO का कुर्सी पर कब्जा करना, ऑफिस में भिंड़ंत और जातीय-राजनीतिक समर्थन की परतों ने प्रशासनिक कमजोरी को उजागर किया है। जनता और कर्मचारियों के बीच असमंजस बढ़ा है। कार्यालय में न केव आफिस की कार्यकुशलता प्रभावित हुई, बल्कि लोगों में सरकार और सिस्टम के प्रति अविश्वास भी निर्मित हुआ।
हाई‑वोल्टेज ड्रामा
कानपुर CMO ऑफिस में लंबे समय तक चला हाई-प्रोफाइल ड्रामा प्रशासन की गड़बड़ी, जवाबदेही और सत्ता की कुर्सी के महत्व को उजागर करता है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि क्या शासन-प्रशासन द्वारा दिए गए नए आदेश, अटैचमेंट और जांच के आदेश से सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही ला पाई जाएगी। समय ही बताएगा कि ड्रामाई घटनाओं की जगह क्या शांतिपूर्ण और सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था बन पाएगी।
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