Kameshwar Chaupal Died: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और पूर्व बिहार विधान परिषद के सदस्य कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) का निधन हो गया। उनका जीवन राम आंदोलन से लेकर राजनीति तक एक लंबी यात्रा का हिस्सा था। कामेश्वर चौपाल का अयोध्या से गहरा लगाव था, और वे राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे थे। राजनीति में भी वे लंबे समय तक सक्रिय रहे, 2004 से 2014 तक बिहार विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य रहे। हालांकि, चुनावी मैदान में वे कई बार अपनी किस्मत आज़माने के बावजूद सफलता नहीं हासिल कर पाए थे। खासकर, दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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राम मंदिर ट्रस्ट में कामेश्वर चौपाल की भूमिका

बताते चले कि, 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में बिहार से भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) को शामिल किया गया था। संघ ने उन्हें ‘पहला कार सेवक’ का दर्जा दिया था। उनके इस योगदान के कारण वे राम मंदिर आंदोलन में एक महत्वपूर्ण नाम बन गए थे। कामेश्वर चौपाल का जीवन राम मंदिर आंदोलन और इसके ऐतिहासिक संघर्ष से जुड़ा रहा। उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि वे उन लोगों में से थे जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए पहले कदम उठाए।
राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में ऐतिहासिक योगदान
कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) वह शख्स थे जिन्होंने ‘रोटी के साथ राम’ का नारा दिया था। 1989 में 9 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम में उन्होंने ही पहली ईंट रखी थी। इस ऐतिहासिक पल में कामेश्वर चौपाल विश्व हिंदू परिषद के बिहार के सह संगठन मंत्री के रूप में अयोध्या में उपस्थित थे। धर्मगुरुओं द्वारा पहले से तय किए गए फैसले के अनुसार, कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने का अवसर मिला था। हालांकि, वे इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन यह उनके लिए एक संयोग बनकर आया। शिलान्यास कार्यक्रम में ईंट रखने के बाद उनका नाम पूरे देश में फैल गया।
शिक्षा और संघ से जुड़ाव

कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) ने अपनी शिक्षा-दीक्षा मधुबनी जिले से की थी, जहां वे संघ के संपर्क में आए थे। उनके एक अध्यापक जो संघ के कार्यकर्ता थे, ने उन्हें संघ के बारे में जानकारी दी और उनकी मदद से ही कामेश्वर चौपाल को कॉलेज में दाखिला मिला था। संघ से जुड़ने के बाद कामेश्वर चौपाल ने पूरी तरह से संघ के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण दिखाया। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे संघ से पूरी तरह जुड़े हुए थे। इसके बाद उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बना दिया गया, और यही वह समय था जब उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्पित किया।
कामेश्वर चौपाल का योगदान और उनकी यादें

कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Chaupal) का योगदान केवल राम मंदिर आंदोलन तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज सेवा, राजनीति, और अपने जीवन के हर पहलू में अपने कार्यों से प्रभावित किया। उनकी यादें और योगदान हमेशा अयोध्या और राम मंदिर के इतिहास में जीवित रहेंगे। राम जन्मभूमि के ट्रस्टी के रूप में उनका कार्य और उनके संघर्ष की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
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