Justice Yashwant VermaTransfer: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आधिकारिक रूप से जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के बाद जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों के संबंध में नए मोड़ आए हैं, जिनमें उनके आधिकारिक आवास से नकदी के बंडल मिलने का मामला सामने आया था। इन आरोपों को लेकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच शुरू की गई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से भेजने की सिफारिश
जस्टिस यशवंत वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज थे और 2021 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की है। इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी 20 और 24 मार्च 2025 की बैठकों में लिया। कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश करते हुए यह कहा है कि यह कदम उनके लिए उपयुक्त होगा, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच की जा सके।
जस्टिस वर्मा बने विवादों का केंद्र

21 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा विवादों के केंद्र में आ गए, जब खबरें आईं कि उनके आधिकारिक बंगले के आउटहाउस में एक स्टोररूम में आग लगने के बाद बोरों में नकदी की गड्डियां मिलीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आग के दौरान बोरों में रखी बड़ी मात्रा में नकदी का पता चला था। इस घटनाक्रम के बाद जस्टिस वर्मा की भूमिका और उनके खिलाफ आरोपों को लेकर सवाल उठने लगे। इस पर एक जांच शुरू की गई, जिसमें यह भी कहा गया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे जल्द निपटाया जाना चाहिए।
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चीफ जस्टिस ने की मामले की जांच
शनिवार को, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की, जो इन-हाउस प्रक्रिया के तहत कार्य करेगी। समिति को मामले की गहनता से जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद लिया गया था। रिपोर्ट में इस मामले की और अधिक जांच की आवश्यकता की बात कही गई थी।