Jammu and Kashmir Assembly Elections: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भाजपा की रणनीति को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है। उनकी यात्रा के दौरान भाजपा का घोषणापत्र जारी करना, पार्टी की राजनीतिक प्राथमिकताओं और घोषणाओं को सामने लाने का एक प्रमुख कदम है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रमुख रविंदर रैना और अन्य पार्टी नेताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि भाजपा इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है।
जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर कही ये बात
अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पंडित प्रेमानाथ डोगरा और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदानों को याद करते हुए जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए भाजपा का घोषणापत्र पेश किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के विकास की चर्चा की। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर भाजपा की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से पंडित प्रेमानाथ डोगरा और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संघर्ष को भाजपा ने आगे बढ़ाया है। उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ जोड़ने की कोशिश हमेशा जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 के बाद के दस वर्षों को राज्य के स्वर्णिम काल के रूप में देखा जाएगा।
घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु
अमित शाह ने भाजपा के घोषणापत्र में कई प्रमुख बिंदुओं को उजागर किया, जो चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं:
- धारा 370 का समापन: अमित शाह ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि धारा 370 अब इतिहास बन चुकी है और कभी भी वापस नहीं आएगी। उनका कहना है कि यह धारा कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने का काम कर रही थी और युवाओं को आतंकवाद की ओर मोड़ रही थी। यह बयान भाजपा की कश्मीर नीति के मूल स्तंभ को पुनः पुष्टि करता है और पार्टी की कठोर स्थिति को दर्शाता है।
- शिक्षा में सुधार: गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों को रेखांकित किया। उनका दावा है कि अब जम्मू-कश्मीर में बाहर से विद्यार्थी आकर पढ़ाई कर रहे हैं, जो कि पहले संभव नहीं था। यह सुधार भाजपा की शैक्षिक नीतियों की सफलता के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- आरक्षण का विस्तार: अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में ओबीसी, एससी, और एसटी वर्ग के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी की बात की। विशेष रूप से गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण का उल्लेख किया गया। यह कदम भाजपा की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह भी बताता है कि पार्टी अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति सुधारने के प्रति गंभीर है।
विपक्ष पर किये लगातार हमले
अमित शाह ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा, यह आरोप लगाते हुए कि वे आरक्षण की व्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं। उनका कहना है कि भाजपा गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी लोगों के आरक्षण को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह बयान विपक्ष के खिलाफ भाजपा की आक्रामक रणनीति को दर्शाता है और यह दर्शाता है कि पार्टी आगामी चुनावों में अपने विरोधियों को किन मुद्दों पर घेरने की योजना बना रही है।
भाजपा की चुनावी रणनीति
भाजपा का घोषणापत्र आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनावी रणनीति का आधार है। घोषणापत्र में प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया है जो मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तैयार किए गए हैं:
- पार्टी की विचारधारा: धारा 370 की समाप्ति और शिक्षा में सुधार की चर्चा भाजपा की विचारधारा की पुष्टि करती है कि जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाना पार्टी की प्राथमिकता है।
- सामाजिक न्याय और आरक्षण: भाजपा ने आरक्षण के मुद्दे पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, यह दर्शाते हुए कि पार्टी सामाजिक न्याय के प्रति गंभीर है। यह कदम भाजपा के लिए चुनावी लाभ प्राप्त करने का एक तरीका हो सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां समाजिक असंतोष है।
- विपक्षी दलों पर हमला: विपक्षी दलों पर हमला और उनकी आलोचना भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अपने समर्थकों को उत्साहित करना और विपक्षी दलों के खिलाफ एक सकारात्मक छवि बनाना है।
अमित शाह का घोषणापत्र और उनकी यात्रा भाजपा की चुनावी रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा है और यह आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। भाजपा का घोषणापत्र और अमित शाह की यात्रा आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- वोटर एंगेजमेंट: घोषणापत्र में किए गए वादे और घोषणाएं मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं और भाजपा के प्रति समर्थन बढ़ा सकती हैं।
- राजनीतिक माहौल: घोषणापत्र और अमित शाह के बयान विपक्षी दलों के खिलाफ भाजपा की आक्रामक रणनीति को स्पष्ट करते हैं, जिससे चुनावी माहौल और भी गर्म हो सकता है।
- दीर्घकालिक प्रभाव: यदि भाजपा के वादे और घोषणाएं सफल होती हैं, तो यह जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में दीर्घकालिक परिवर्तन ला सकती हैं।