Janaki jayanti 2025: जानकी जयंती का पर्व विशेष रूप से माता सीता की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। फाल्गुन माह के कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली यह पर्व इस साल शुक्रवार, 21 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन माता सीता की महिमा को स्वीकारने और उनके आशीर्वाद से जीवन को संपूर्ण करने का पर्व है। साथ ही इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा भी विशेष महत्व रखती है। जानकी जयंती पर माता सीता की पूजा के साथ श्रीराम का पूजन करने से समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
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सीता चालीसा का पाठ और उसके लाभ

जानकी जयंती पर यदि कोई व्यक्ति विधिपूर्वक श्रीराम और माता सीता का पूजन करने के साथ-साथ श्री सीता चालीसा का पाठ करता है तो उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्री सीता चालीसा का पाठ करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है, साथ ही जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
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सीता चालीसा के महत्वपूर्ण अंश
दोहे का भावार्थ: “बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम।”
यह दोहा माता सीता के चरणों की पूजा और उनकी कृपा की प्राप्ति के बारे में है। यहां यह कहा गया है कि जब हम माता सीता के चरणों की पूजा करते हैं, तो श्रीराम की कृपा हमें सर्वत्र प्राप्त होती है।

चौपाई का संदेश: “कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम।”
इस चौपाई का तात्पर्य है कि जब व्यक्ति माता सीता की कीर्ति का गान करता है, तो उसके सारे काम सुधर जाते हैं और वह दुखों से मुक्त हो जाता है। इसका संदेश यह है कि माता सीता के प्रति श्रद्धा और भक्ति से जीवन में शांति और सुख आता है।
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कैसे करें जानकी जयंती की पूजा?

जानकी जयंती पर पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। सबसे पहले स्वच्छता का ध्यान रखें और घर के पूजा स्थान को साफ करें। फिर श्रीराम और सीता की सुंदर मूर्तियों या चित्रों की स्थापना करें। दीपक जलाकर इनकी पूजा करें और मां सीता का ध्यान करते हुए सीता चालीसा का पाठ करें। इस दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है, जो भगवान राम और सीता की कृपा को आकर्षित करते हैं।
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सीता माता की कृपा से दाम्पत्य जीवन में सुख

माना जाता है कि जो लोग जानकी जयंती पर माता सीता की पूजा करते हैं, विशेष रूप से दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से विवाह और दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाने का अवसर है। माता सीता की कृपा से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य रहता है, साथ ही हर तरह की परेशानियां और दुख दूर होते हैं।