Jagdeep Dhankhar Resignation: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar Resign) के अचानक पद छोड़ने के फैसले ने पूरे राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। खासतौर पर विपक्ष इस इस्तीफे की टाइमिंग और पृष्ठभूमि पर गंभीर सवाल उठा रहा है।
विपक्ष ने बताया “दबाव में लिया गया निर्णय”
धनखड़ के इस्तीफे की घोषणा ऐसे समय पर हुई जब उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इस फैसले के कुछ ही देर बाद, केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने उपराष्ट्रपति को फोन किया।विपक्ष का आरोप है कि यही फोन कॉल उनके इस्तीफे की मुख्य वजह बना। विपक्षी दलों का कहना है कि धनखड़ पर सरकार की ओर से दबाव डाला गया और उन्हें जबरन इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया।
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किन मंत्रियों ने किया था फोन?
एक की रिपोर्ट के अनुसार, फोन कॉल करने वाले दो मंत्री थे — भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू। उन्होंने उपराष्ट्रपति को यह बताया कि जस्टिस वर्मा पर महाभियोग नोटिस स्वीकार करने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर धनखड़ ने जवाब दिया कि उन्होंने केवल नियमों और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ही कार्य किया है।
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BAC बैठक में नेताओं की अनुपस्थिति
इस पूरे घटनाक्रम के बीच राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की दो बैठकों का जिक्र भी सामने आया है। सोमवार को पहली बैठक में सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन दूसरी बैठक जो शाम 4:30 बजे बुलाई गई थी, उसमें प्रमुख नेताओं ने भाग नहीं लिया।कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में विपक्ष और सरकार दोनों के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने इस बात को और बल दिया कि अंदरखाने कुछ बड़ा राजनीतिक निर्णय लिया जा रहा है।
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क्या था जस्टिस वर्मा महाभियोग का मामला?
जस्टिस यशवंत वर्मा, जो दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं, उनके खिलाफ विपक्ष ने गंभीर आरोपों के आधार पर महाभियोग का नोटिस दिया था। उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने उस नोटिस को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी, जो सरकार को स्वीकार्य नहीं लगी। यही फैसला कथित तौर पर विवाद की जड़ बना।