Jagannath Temple: रहस्यों का खजाना है जगन्नाथ पूरी का ‘रत्न भंडार’… नागदेवता करते है जिसकी रक्षा, जानिए क्या-क्या मिला?

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
जगन्नाथ मंदिर

Mystery of the Jagannath Temple: 12वीं शताब्दी में बने जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के रत्न भंडार का दरवाजा 46 साल बाद, शुभ मुहूर्त पर, कल दोपहर खोला गया। इस मौके पर सरकार के प्रतिनिधि समेत कुल 11 लोग मौजूद थे। आखिरी बार यह दरवाजा 1978 में खोला गया था। खजाना खोलने से पहले पुरी प्रशासन ने खास तरह के 6 बड़े-बड़े बॉक्स मंगवाए थे। भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी, और यहां तक कि सांप पकड़ने वालों को भी बुलवाया गया क्योंकि आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं।

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आभूषणों और बर्तनों की भारी मात्रा

ओडिशा सरकार का कहना है कि 1978 के ऑडिट में कीमती पत्थरों से जड़े 149.6 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण, 258.3 किलोग्राम चांदी के बर्तन और अन्य सामान शामिल थे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि उन्होंने रविवार को एसओपी के अनुसार सभी काम किए। सबसे पहले रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला गया और वहां रखे सभी आभूषणों व कीमती सामानों को मंदिर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद स्ट्रांग रूम को सील किया गया।

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आंतरिक कक्ष की ताले तोड़ने पड़े

टीम ने फिर आंतरिक कक्ष के तीन ताले तोड़े क्योंकि दी गई चाबियां काम नहीं कर रही थीं। समय की कमी को देखते हुए आंतरिक कमरे के अंदर रखे लकड़ी के बक्सों को नहीं खोला गया। वहां रखे आभूषणों और जवाहरात को किसी दूसरे दिन मंदिर परिसर के अंदर एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया जाएगा। राज्य की ओर से गठित ऑडिट सुपरवाइजरी कमेटी के प्रमुख जस्टिस (रिटायर्ड) बिस्वनाथ रथ ने बताया कि टीम ने आंतरिक कमरे में पांच लकड़ी की पेटियां, चार लकड़ी की अलमारियां और एक स्टील की अलमारी देखी। इसके अलावा कई अन्य सामान भी हो सकते हैं जिन्हें अभी चेक करना बाकी है।

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सांपों की सुरक्षा में खजाना

रत्न भंडार के गेट खोलने के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सांप पकड़ने वालों को भी बुलवाया गया क्योंकि मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है। रत्न भंडार खोलने का मुख्य मकसद वहां मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग करना है, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे विवरण शामिल होंगे। इसके अलावा मरम्मत कार्य के लिए इंजीनियर्स रत्न भंडार का सर्वे भी करेंगे। इस रत्न भंडार को 1978 से सुरक्षा कारणों और इसमें रखे गए कीमती सामानों की सुरक्षा के लिए बंद किया गया था। हाल के वर्षों में इसे खोलने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन तकनीकी और सुरक्षा कारणों से ये सफल नहीं हो पाए। इसके अलावा मंदिर गर्भ में साँपों का निवास भी है जो इसकी हरदम रक्षा करते है। 2018 में फिर मंदिर प्रशासन ने इसे खोलने का प्रयास किया, लेकिन भीतर प्रवेश नहीं कर सके।

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श्री जगन्नाथ महाप्रभु का महत्व

श्री जगन्नाथ महाप्रभु ओडिशा में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान हैं, और यहां बड़े पैमाने पर चढ़ावा आता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह रत्न भंडार ओडिशा में बड़ा सियासी मुद्दा रहा था। मंदिर प्रशासन सोमवार से बहुदा यात्रा और अन्य अनुष्ठानों में व्यस्त रहने वाला है, इसलिए आभूषणों और जवाहरात को अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट करने का काम किसी दूसरे दिन किया जाएगा। इस रहस्यमय खजाने की डिजिटल लिस्टिंग और सुरक्षा व्यवस्था के बाद, उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में रत्न भंडार की संपत्ति का बेहतर प्रबंधन और संरक्षण हो सकेगा।

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