Asaduddin Owaisi News: संसद में विचारधाराओं की लड़ाई आम बात है। जून में जब नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ली थी, तब हिंदू राष्ट्र का मुद्दा भी काफी गरमाया था। एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भाजपा पर तीखे हमले किए थे। ओवैसी जब भी संसद में बोलते हैं, तो वह भाजपा की विचारधारा को पहले निशाने पर लेते हैं। हालांकि, लोकसभा में गुरुवार, 1 अगस्त को एक बिल्कुल अलग नजारा देखने को मिला।
सांसद धर्मेंद्र प्रधान ने की ओवैसी की तारीफ
भाजपा सांसद और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने असदुद्दीन ओवैसी की तारीफ की। प्रधान ने यहां तक कहा कि ओवैसी जी जब सदन में होते हैं, तो अच्छा लगता है। उनके साथ रहने में भी अच्छा लगता है। प्रधान की इस तारीफ ने सदन में मौजूद सभी लोगों को हैरान कर दिया। जिस भाजपा पर ओवैसी अक्सर सख्त रहते हैं, उसके ही नेता उनकी तारीफ कर रहे थे।
प्रधान की बातों पर सदन में लगे ठहाके
बजट सत्र पर चर्चा के दौरान प्रधान ने कहा, “मैं अभी श्री अरबिंदो जी को कोट करना चाहता हूं। मेरे मित्र ओवैसी जी भी आ गए हैं, अच्छा लगा। ओवैसी जी के साथ थोड़ा रहने से अच्छा लगता है।” प्रधान की यह बातें सुनते ही सदन में ठहाके लगने लगे। केंद्रीय मंत्री की तारीफ सुनकर ओवैसी भी मुस्कुराने से खुद को रोक नहीं पाए और सिर हिलाते हुए मंद-मंद मुस्कुराते रहे।
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विचारधारा पर ओवैसी का जवाब
धर्मेंद्र प्रधान ने जब श्री अरबिंदो को कोट करते हुए विचारधारा पर बात शुरू की, तो ओवैसी खड़े हो गए। उन्होंने स्पीकर ओम बिरला की तरफ देखते हुए कहा, “संविधान विचारधारा है सर…मेरी विचारधारा किस पर आएगी, मैं किस पर वोट दे रहा हूं। मैं तो संविधान को वोट दे रहा हूं। अब गोलवलकर की विचारधारा किस काम में आएगी।”
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राजनीतिक नाट्य
यह वाकया संसद में विचारधाराओं की टकराहट को दर्शाता है। ओवैसी और प्रधान के बीच की यह बातचीत न केवल सदन में हंसी का माहौल बना गई, बल्कि यह भी दिखाया कि राजनीति में विचारधाराओं के बावजूद एक दूसरे के प्रति सम्मान होना चाहिए। प्रधान का ओवैसी की तारीफ करना और ओवैसी का संविधान की विचारधारा को समर्थन देना, दोनों नेताओं के बीच एक नई दिशा की ओर इशारा करता है।
ओवैसी और भाजपा की खींचतान
असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी के बीच की खींचतान नई नहीं है। ओवैसी हमेशा बीजेपी पर हमलावर रहे हैं और बीजेपी की नीतियों और विचारधाराओं की आलोचना करते रहे हैं। हालांकि, धर्मेंद्र प्रधान की यह तारीफ एक नए दृष्टिकोण को सामने लाती है। यह दिखाता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद संसद में व्यक्तिगत संबंध और सम्मान बना रहना चाहिए। धर्मेंद्र प्रधान की बातों पर सदन में ठहाके लगने के बावजूद, ओवैसी की प्रतिक्रिया ने एक गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान दिलाया। संविधान की विचारधारा को सर्वोपरि मानने की उनकी बात ने यह स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत विचारधाराएं चाहे जो भी हों, देश के संविधान का सम्मान सबसे ऊपर है।
राजनीतिक संतुलन की ओर संकेत
यह घटना राजनीतिक संतुलन की ओर भी संकेत करती है। यह दिखाती है कि राजनीतिक विचारधाराओं के भिन्न होने के बावजूद, सांसदों को एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखना चाहिए। संसद में विचारधाराओं की लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन व्यक्तिगत संबंधों में सम्मान और सौहार्द भी बना रहना चाहिए।
नयी शुरुआत की ओर उम्मीद
इस प्रकार की घटनाएं राजनीतिक माहौल को थोड़ा नरम करने और सहिष्णुता को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती हैं। ओवैसी और प्रधान के बीच का यह संवाद संसद में एक सकारात्मक संकेत छोड़ गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में भी सांसद एक दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखते हुए देश की भलाई के लिए काम करेंगे।