Israel-Hamas War ने 2006 में गाजा में सत्ता में आने के बाद से धीरे-धीरे अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना शुरू किया फिर 2008 तक, हमास ने एक सैन्य संरचना विकसित कर ली थी। वहीं दूूसरी ओर इस्राइल ने भी लेबनान में जंग के बाद खुद को मजबूत किया है। इस्राइल अपने कुल बजट का 12 फीसदी रक्षा क्षेत्र पर खर्च करता है। गाजा पिछले एक साल से युद्ध का अखाड़ा बना हुआ है। इस्राइल और हमास की जंग को आज एक साल पूरे हो गए हैं।7 अक्तूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर अचानक किए गए हमले ने इस्राइल को स्तब्ध कर दिया। इसके बाद इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई की जिसमें हमास के मुखिया इस्माइल हानिया समेत हजारों लड़ाके ढेर हो गए।
आखिर कौन से हथियार हैं?
1987 में फलस्तीनी मौलवी शेख अहमद यासीन द्वारा बनाया गया हमास पहली बार 2006 में गाजा की सत्ता में आया। इसके बाद से हमास धीरे-धीरे अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुट गया। 2008 तक जब हमास ने इस्राइल के खिलाफ अपना पहला युद्ध शुरू किया तब उसने एक सैन्य संरचना विकसित कर ली थी। लेबनान में मौजूद सशस्त्र संगठन हिजबुल्लाह के समर्थन से हजारों सदस्यों को प्रशिक्षित किया। उस वक्त हमास अस्थायी रॉकेट लॉन्च कर रहा था। गाजा पर इस्राइल के बाद के हमलों में अनुमानित 1200-1400 फलस्तीनी मारे गए। 2014 में जब उसने इस्राइल के खिलाफ अपना तीसरा युद्ध शुरू किया तो उसके पास युद्ध क्षमताओं की एक विस्तृत श्रृंखला तैयार हो चुकी थी।
इसके रॉकेटों की संख्या और दूरी तय करने की सीमा बढ़ गई थी। इसके साथ ही हमास ने गाजा पट्टी से इस्राइल तक की सुरंगें बनाईं। इन्हीं सुरंगों के माध्यम से उसने मिस्र से जुटाए हथियारों को इस्राइल पर हमले के लिए इस्तेमाल किया। इससे उसके जमीन पर लड़ने वाले सदस्यों की दक्षता बढ़ी, जो 50 दिनों तक लड़ते रहे। 2021 में हमास ने 11 दिनों के हमले में इस्राइल पर 4,300 रॉकेट दाग दिए।हालांकि हमास अभी भी इस्राइल का मुकाबला नहीं कर सका। 2021 में इसके हमले में एक बंकर में एक दर्जन लोगों की मौत के बाद इस्राइल के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों ने गाजा पर बमबारी की। इस हमले में 200 से अधिक लोग मारे गए।
हमास ने अचानक किया हमला
2021 के बाद दो साल तक हमास ने इस्राइल के साथ संघर्ष को बढ़ाने से परहेज किया, लेकिन 7 अक्तूबर 2023 को हुआ हमला इससे पहले हुए किसी भी हमले से कहीं अधिक खतरनाक था। हमास ने इस्राइल की सीमा पर लगे सेंसर्स पर हमला किया और उसके सुरक्षा कैमरों को निष्क्रिय कर दिया। इसने उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का उपयोग किया और इस्राइली संचार प्रणालियों को जाम कर दिया। इससे स्पष्ट हो गया कि विदेशी मदद के जरिए हमास कुछ समय से अपनी सैन्य प्रौद्योगिकियों को बढ़ा चुका है।
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30,000 लड़ाकों तक सीमित
दि इकोनॉमिस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि,इस्राइल के रक्षा बल संख्या और उपकरण दोनों में हमास से कहीं आगे निकल चुके हैं। इस्राइल ने हमास की सैन्य शक्ति को लगभग 30,000 लड़ाकों तक सीमित कर दिया है। हमास के हमले के बाद ही इस्राइल ने हमास से निपटने के लिए 3,00,000 आरक्षित सैनिकों को बुला लिया। इसके अलावा आईडीएफ के बहुत बड़े शस्त्रागार में मिसाइल नौकाएं और टैंक शामिल हैं।
इस्राइल की जवाबी कार्रवाई
हमास के हाल के हमले के बाद इस्राइल लगातार इसके ठिकानों पर पलटवार कर रहा है जवाबी कार्रवाई में इस्राइली रक्षा बलों ने 6,000 रॉकेट दागे हैं जिसमें 1,000 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं। हालांकि इस दौरान इस्राइल ने अपने 258 सैनिक भी खोए आईडीएफ ने कहा कि,120 परिवारों को अपहृत रिश्तेदारों के बारे में जानकारी दी गई है।
क्या कहता है? इस्राइल का लेखा-जोखा
इस्राइल का रक्षा बजट 2.02 लाख करोड़ रुपये का है। ग्लोबल फायर पावर के आंकड़ों के अनुसार इस्राइल अपने कुल बजट का 12 फीसदी रक्षा क्षेत्र पर खर्च करता है। यहां प्रति व्यक्ति सैन्य व्यय 2,18,439.14 रुपये है। इस्राइल की सेना में कुल सैनिकों की संख्या 6.46 लाख है। इसके सक्रिय सैनिक 1.73 लाख हैं जबकि 4.65 लाख रिजर्व सैनिक हैं। इसके साथ ही इस्राइल में आठ हजार अर्धसैनिक बल हैं। इस्राइली सेना के जमीनी ताकत की बात करें तो इसके पास 2,200 युद्धक टैंक हैं। इसके पास 56,290 बख्तरबंद वाहन हैं जबकि स्व-चालित तोप 650 हैं। 300 की संख्या में इस्राइल के पास मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम हैं। इस्राइली नौसेना के पास 601 सैन्य विमान हैं। वायु सेना में 126 हेलीकॉप्टर हैं जबकि अटैक हेलीकॉप्टरों की संख्या 48 है। वायु सेना के परमाणु हथियार की शक्ति 90-200 है। इसकी नौसेना के पास पांच सबमरीन, सात छोटे युद्ध पोत और 45 गश्ती जहाज हैं। बाकी देशों की तुलना में इस्राइल की स्थिति क्या है? जहां इस्राइल के सरकारी खर्च में सैन्य व्यय की हिस्सेदारी 12.20% है, वहीं रूस के लिए यह आकंड़ा 10.40% है। सिप्री की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सरकारी खर्च में से 8.30% का हिस्सा सैन्य व्यय का है। इसके अलावा पाकिस्तान के सरकारी खर्च में सैन्य व्यय की हिस्सेदारी 12.20%, चीन की 4.80%, फ्रांस की 3.40% और ब्रिटेन 5.30% है।
आंकड़े कहते हैं इस्राइल 2,18,408 रुपये करता है खर्च
सिप्री के आंकड़े कहते हैं कि इस्राइल औसतन प्रति सैनिक के लिए 2,18,408 रुपये खर्च करता है। ब्रिटेन के लिए प्रति व्यक्ति सैन्य व्यय 83,219 रुपये है जबकि फ्रांस के लिए 68,096 रुपये है। रूस एक सैनिक पर 49,323 रुपये का व्यय करता है। चीन के लिए प्रति व्यक्ति सैन्य व्यय 16,782 रुपये, भारत का 4,815 रुपये और पाकिस्तान का 3,750 रुपये है। इस्राइल अपनी कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.50% हिस्सा सेना के लिए खर्च करता है। रूस अपनी जीडीपी का 4.10% भाग जबकि भारत अपनी जीडीपी का 2.40% भाग सेना के लिए खर्च करता है। बाकी देशों के आंकड़े देखें तो पाकिस्तान अपनी जीडीपी का 2.60%, चीन 1.60%, फ्रांस 1.90%, ब्रिटेन 2.20% और अमेरिका 3.50% अपनी सेना के लिए खर्च करता है।