महिला दिवस (womens day) के मौके पर पिंक कलर को लेकर एक दिलचस्प सवाल उठता है कि यह रंग महिलाओं से क्यों जुड़ा हुआ है। अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं के लिए पिंक रंग से जुड़े विभिन्न उत्पाद जैसे कपड़े, गहने, और अन्य चीजें मार्केट में बिकती हैं। लेकिन सवाल यह है कि पिंक रंग को महिलाओं से जोड़ने का कारण क्या है? क्या पुरुषों के लिए भी पिंक रंग का इस्तेमाल मना नहीं है? आइए जानते हैं इस रंग से जुड़ी एक ऐतिहासिक कहानी।
pink color के पीछे की कहानी ?

कई सालों पहले पिंक कलर का संबंध पुरुषों से था। यह रंग शक्ति, रॉयल्टी और उच्च वर्ग का प्रतीक माना जाता था। पहले पिंक रंग को पुरुष पहनते थे, खासकर यूरोप में, क्योंकि यह रंग लाल का हल्का रूप था और लाल रंग को रक्त, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता था। इतिहास में पिंक कलर का उल्लेख सबसे पहले 800 BC में होमर की “Odyssey” में हुआ था।
इसके बाद, 17वीं सदी में ग्रीक बॉटनिस्ट ने पिंक रंग का इस्तेमाल फूलों के विवरण के लिए किया था।फ्रांस के राजा लुई XV की मशहूर प्रेमिका, मैडम की पोम्पाडोर ने पिंक कलर को और अधिक लोकप्रिय बनाया। उन्होंने इस रंग को अपनी फैशन में शामिल किया, और इसके बाद से यह रंग “पोम्पाडोर पिंक” के नाम से जाना जाने लगा। इस रंग को पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा पहना जाता था। यह रंग शक्ति और उच्च वर्ग का प्रतीक था।
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19वीं शताब्दी में क्या था रंगों का आधार?
19वीं शताब्दी में रंगों को लिंग के आधार पर बांटा जाने लगा। उस समय, पिंक रंग को लड़कों से जोड़ा जाने लगा, जबकि नीला रंग महिलाओं के लिए प्रतीक माना गया। यह बदलते समाज और विचारधारा को दर्शाता था, जहां नीला रंग को कोमलता और शांतिपूर्णता का प्रतीक माना जाता था।
20वीं सदी में और भी बदला रंगों का आधार

20वीं सदी में, खासकर 1940-50 के दशक में पिंक कलर का मतलब और भी बदला। अब इसे महिलाओं की शक्ति और जुड़ाव का प्रतीक माना जाने लगा। मार्केटिंग कंपनियों ने इसका प्रचार किया और इसे महिलाओं से जुड़ा हुआ रंग बना दिया। इसके बाद, पिंक रंग को एक नकारात्मक दृष्टिकोण से भी देखा जाने लगा, क्योंकि यह महिलाओं की एक सीमित छवि को प्रचारित करता था।
सशक्तिकरण का प्रतीक
हालांकि, आज के दौर की बात करें तो…. पिंक कलर एक महत्वपूर्ण पहचान बन चुका है। यह न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि पूरी दुनिया में समानता और सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। पिंक कलर को लेकर जो धारणाएं हैं, वो बदलने लगी हैं, और अब यह रंग किसी भी लिंग के व्यक्ति द्वारा पहना जा सकता है। महिला दिवस पर पिंक कलर को लेकर जागरूकता फैलाना यह संदेश देता है कि रंगों का कोई लिंग नहीं होता, बल्कि यह हम सभी की समानता का प्रतीक है।