International Women’s Day 2025: हर साल 8 मार्च को मनाया जाने वाला महिला दिवस इस बार भी महिलाओं के अधिकारों और उनकी कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का अवसर है। महिलाओं ने न सिर्फ घर के भीतर बल्कि बाहर भी अपने कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। उन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। हालांकि, कामकाजी महिलाओं के अधिकारों के बारे में अब भी कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिससे महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रहती हैं या फिर उन्हें इन अधिकारों के बारे में सही जानकारी नहीं होती। इसका समाधान करने के लिए, मैटरनिटी बेनेफिट्स एक्ट 1961 पास किया गया था, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को उनके मातृत्व के दौरान सुरक्षा और सुविधा प्रदान करना है।
मैटरनिटी लीव के तहत महिलाओं को कितने दिन की छुट्टी मिलती ?

मैटरनिटी एक्ट के अंतर्गत कामकाजी महिलाओं को 26 सप्ताह की मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) का प्रावधान है, जिसमें से 8 हफ्ते की छुट्टी प्रसव के बाद और 6 हफ्ते छुट्टी प्रसव से पहले ली जा सकती है। इसके अलावा, यदि महिला ने 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लिया है, तो उसे भी मातृत्व अवकाश दिया जाता है। यह अवकाश न केवल महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद का समय आराम से गुजारने का मौका देता है, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने में भी मदद करता है।
तीसरे बच्चे के लिए छुट्टी की अवधि में बदलाव
इस एक्ट के तहत तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं के लिए छुट्टी की अवधि में कुछ बदलाव किया गया है। ऐसी महिलाओं को डिलीवरी से 6 हफ्ते पहले और 6 हफ्ते बाद ही मातृत्व अवकाश मिल सकता है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि महिलाओं को प्रसव के 6 हफ्ते के भीतर काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं बिना किसी मानसिक दबाव के अपने और अपने बच्चे का ध्यान रख सकें।
मातृत्व अवकाश के दौरान महिलाओं को पूरी सैलरी मिलती है

महिलाओं को मातृत्व अवकाश के दौरान उनके वेतन का नियमित भुगतान किया जाता है। इसका मतलब है कि महिला को छुट्टी के दौरान उनकी पूरी सैलरी दी जाती है, ताकि वह अपने परिवार और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर सके। यह एक ऐसा कदम है जो महिलाओं को कामकाजी जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।
गर्भपात के मामले में भी मिलेगा अवकाश

अगर किसी महिला को गर्भपात कराना होता है, तो उसे गर्भपात की तारीख से छह सप्ताह तक की मातृत्व अवकाश दी जाती है। यह प्रावधान महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए है। इसके बावजूद, यदि कोई कंपनी इस एक्ट का उल्लंघन करती है और महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान सैलरी देने से इंकार करती है, तो कंपनी पर 5,000 रुपये का जुर्माना या एक साल की सजा या दोनों का प्रावधान किया गया है। यह सख्त कानूनी कदम महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षा देने के लिए उठाए गए हैं।
मैटरनिटी बेनेफिट्स एक्ट महिला कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है, जो उनकी शारीरिक और मानसिक सुरक्षा के साथ-साथ उनकी कार्यक्षमता और योगदान को भी सम्मानित करता है। इसके माध्यम से कामकाजी महिलाओं को उनके जीवन के इस महत्वपूर्ण दौर में आराम और सुरक्षा मिलती है।
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