Akash Anand: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सोमवार को पहले आकाश आनंद को पार्टी में राष्ट्रीय संयोजक जैसे अहम पद से हटाया उसके बाद आकाश आनंद की प्रतिक्रिया पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।लेकिन,इन सबके बीच लोगों के मन में अब ये सवाल है आखिर मायावती चाहती क्या हैं जिन्होंने पिछले कई सालों में पार्टी से कुछ वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जिसके बाद से पार्टी का मूल वोट बैंक भी उनसे छिटकता जा रहा है।
बसपा के राजनीतिक भविष्य की आगे की राह क्या?

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद से पहले 2012 में सत्ता से विदाई के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी,बाबू सिंह कुशवाहा,स्वामी प्रसाद मौर्य और आरपी सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया है जो बसपा के मिशन का हिस्सा रहे थे।बहुजन समाज पार्टी की हालत इन दिनों बिल्कुल सही नहीं है इसके बावजूद मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित किया इसके पीछे उनकी क्या मंशा है इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित करने की मंशा?

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आकाश आनंद पार्टी में रहकर एक खास खेमे को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे जिसके चलते पार्टी में गुटबाजी बढ़ रही थी ऐसी परिस्थितियों में मायावती ने आकाश आनंद को बसपा से बाहर करने का फैसला किया।लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान आकाश आनंद बीजेपी को लेकर खूब हमलावर हुए इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया जाता है लेकिन कुछ ही समय बीतने पर एक बार फिर आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है इसके बाद उनके ऊपर मायावती फिर एक्शन लेती हैं और उन्हें इस बार पार्टी से ही निष्कासित कर दिया जाता है।
बसपा के खिसकते जनाधार का किसको मिलेगा फायदा?
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को केवल एक सीट मिली थी इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य सीट पर सिमट गई।2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जिसमें उसे 10 सीटों पर जीत मिली इसके बाद तो बसपा के कई नेता और पार्टी कार्यकर्ता साइकिल पर सवार हो गए बसपा को इससे खासा नुकसान 2024 आम चुनाव में हुआ।

बसपा में गुटबाजी और अंदरखाने में आपस में विरोध के उठते स्वर का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी और सपा को होने वाला है।भारतीय जनता पार्टी को 2014 के आम चुनाव,2017 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के वोटर कहे जाने वाले समाज का साथ मिला।समाजवादी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के वोटरों का अच्छा साथ मिला।
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