Infosys layoffs: इन्फोसिस ने हाल ही में 350 फ्रेशर्स को नौकरी से निकालने का फैसला किया है, जो कि एक बड़ा विवाद बन गया है। इस कदम के बाद कर्नाटक सरकार ने तुरंत मामले की जांच का आदेश दिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब IT कर्मचारियों की यूनियन NITES ने इन्फोसिस के खिलाफ शिकायत की थी। आरोप था कि इन कर्मचारियों को 2022 में नौकरी का ऑफर दिया गया था, लेकिन वे आवश्यक परीक्षणों में सफल नहीं हो पाए। इन परीक्षणों में जावा प्रोग्रामिंग और डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) शामिल थे, जिनमें 65 प्रतिशत अंक लाना आवश्यक था।
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कर्नाटक सरकार ने शुरू की जांच

कर्नाटक सरकार ने इस मामले में जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कर्मचारियों की यूनियन का कहना है कि इन फ्रेशर्स को एक साल से अधिक समय तक काम पर नहीं लिया गया और उनके लिए परीक्षण की परिस्थितियां सही नहीं थीं। इन्फोसिस ने दावा किया है कि ये कर्मचारी परीक्षा में तीन बार विफल रहे, जिसके कारण उन्हें नौकरी से बाहर किया गया। इस मामले को लेकर कर्नाटका के लेबर कमिश्नर से जांच करने को कहा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियमों का पालन किया गया है और उचित कदम उठाए गए हैं।
IT इंडस्ट्री में चिंता का माहौल
इन्फोसिस के इस कदम ने IT क्षेत्र में चिंता का माहौल बना दिया है। हाल ही में विप्रो ने भी ऐसे ही मामले में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था, जब वे परीक्षण में फेल हो गए थे। विप्रो के HR प्रमुख सौरभ गोविल ने कहा था कि कर्मचारियों की तकनीकी क्षमता को सही बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि कुछ कर्मचारियों को भर्ती के बाद लंबे समय तक काम पर नहीं रखा गया था। यह स्थिति उन कर्मचारियों के लिए और भी कठिन हो गई थी, जिन्हें 2022 में ऑफर मिलने के बावजूद एक साल तक काम पर नहीं लिया गया था।
नौकरी से जुड़ी समस्याओं के बीच नया मोड़

इन्फोसिस का यह कदम भारतीय IT क्षेत्र में एक नई चिंता का कारण बन गया है, जहां पहले से ही नौकरी में देरी और समाप्ति की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। TCS, विप्रो, और HCLTech जैसी बड़ी कंपनियों ने भी नए कर्मचारियों की भर्ती कम कर दी है और कुछ मामलों में नियुक्तियों को टाल दिया है। इससे IT कर्मचारियों के बीच नौकरी के अवसरों को लेकर चिंता बढ़ गई है।
आगे की राह पर फैसला होगा महत्वपूर्ण
कर्नाटक लेबर कमिश्नर द्वारा की जा रही जांच से यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह मामला IT कंपनियों के कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर एक नई दिशा तय कर सकता है। IT यूनियन ने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग की है और यह देखा जाएगा कि इस मामले से भविष्य में कंपनियों की भर्ती नीतियों पर क्या असर पड़ता है। इस पूरे विवाद के कारण IT क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक युवाओं के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।