IndiGo Flight Emergency Landing:हवाई सफर की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। गुवाहाटी से चेन्नई जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E‑6764 ने जब गुरुवार की शाम आसमान में ‘मेडे’ अलर्ट जारी किया, तो फ्लाइट में सवार 168 यात्रियों की सांसें अटक गईं। अंततः फ्लाइट को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात स्थिति में उतारा गया।यह घटना ऐसे समय पर हुई जब कुछ दिन पहले ही अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, जिससे देशभर में हवाई यात्रा को लेकर असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
चेन्नई में लैंडिंग फेल, बेंगलुरु में इमरजेंसी लैंडिंग
19 जून को इंडिगो की फ्लाइट शाम 4:40 बजे गुवाहाटी से चेन्नई के लिए रवाना हुई थी। निर्धारित समय के अनुसार फ्लाइट को शाम 7:45 बजे चेन्नई एयरपोर्ट पर उतरना था। लेकिन जब विमान लैंडिंग की तैयारी में था, उस वक्त चेन्नई एयरपोर्ट पर रनवे उपलब्ध नहीं होने की वजह से फ्लाइट को लैंडिंग की अनुमति नहीं मिली।इस बाधा के चलते फ्लाइट को आसमान में चक्कर लगाने और फिर दूसरी जगह भेजने का निर्णय लेना पड़ा। अतिरिक्त ईंधन की खपत के कारण स्थिति और गंभीर हो गई।
‘मेडे’ कॉल क्यों दी गई?
जब विमान बेंगलुरु एयरस्पेस में पहुंचा और लगभग 35 नॉटिकल मील की दूरी पर था, उस समय फ्यूल खत्म होने की स्थिति आ गई थी। तभी पायलट ने ‘मेडे’ (Mayday) कॉल देकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को इमरजेंसी की जानकारी दी।‘मेडे’ कॉल का मतलब होता है कि विमान गंभीर संकट में है और तुरंत सहायता चाहिए। इसके बाद एटीसी ने तुरंत फायर ब्रिगेड, मेडिकल स्टाफ और अन्य इमरजेंसी सेवाएं रनवे पर तैनात कर दीं। गनीमत रही कि विमान को सुरक्षित बेंगलुरु एयरपोर्ट पर उतार लिया गया।
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इंडिगो का एक्शन
इस गंभीर घटना के बाद एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने कार्रवाई करते हुए फ्लाइट के दोनों पायलटों को उड़ान सूची से हटा दिया है। उन्हें फिलहाल डि-रजिस्टर कर दिया गया है और घटना की विस्तृत जांच की जा रही है।हालांकि, कंपनी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक सार्वजनिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि एयरलाइन सुरक्षा मानकों के तहत कठोर कदम उठा रही है।
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अहमदाबाद क्रैश के बाद लोगों में डर
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब कुछ ही दिन पहले अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट क्रैश हो गई थी, जिसमें 241 यात्री और 29 क्रू सदस्य सवार थे। उस हादसे में कम से कम 270 लोगों की मौत हो चुकी है। उस हादसे के बाद से देश में हवाई यात्रा को लेकर लोगों में डर और दहशत का माहौल बना हुआ है।
जरूरी है सतर्कता और जवाबदेही
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि तकनीकी या एटीसी संबंधी छोटी सी चूक भी कितनी बड़ी घटना को जन्म दे सकती है। समय रहते ‘मेडे’ कॉल देकर यात्रियों की जान बचाना पायलट का सही फैसला था, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने एयर ट्रैफिक प्रबंधन और फ्लाइट प्लानिंग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच पूरी होने के बाद यह तय होगा कि गलती किस स्तर पर हुई — पायलट, एटीसी या एयरलाइन मैनेजमेंट।