India vs Pakistan:पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध छिड़ने की आशंका तेजी से बढ़ रही है। इस गंभीर स्थिति पर वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चेतावनी दी है कि अगर यह तनाव और अधिक बढ़ता है तो इसका सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। मूडीज के मुताबिक, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा।
पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा
फिलहाल पाकिस्तान के पास लगभग 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो सिर्फ कुछ हफ्तों के आयात के लिए ही पर्याप्त है। इसके विपरीत भारत के पास 688 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो लगभग 11 महीने तक आयात की जरूरतों को पूरा कर सकता है। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कुछ ही दिनों में बुरी तरह चरमरा सकती है।
भारत और पाकिस्तान स्वतंत्र राष्ट्र
1947 में विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। तब से दोनों देशों ने आर्थिक विकास के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाए। भारत ने जहां समय के साथ आर्थिक सुधारों और वैश्विक साझेदारियों की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य हस्तक्षेपों ने आर्थिक विकास को बाधित किया।
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विदेशी मुद्रा भंडार
भारत की अर्थव्यवस्था न केवल मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार पर टिकी है, बल्कि मजबूत उत्पादन क्षमता, निर्यात वृद्धि और विविधीकृत आर्थिक ढांचे पर भी आधारित है। वहीं पाकिस्तान निर्यात घटने, विदेशी कर्ज बढ़ने और राजनीतिक अस्थिरता जैसे मुद्दों से जूझ रहा है।विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तनाव युद्ध में बदलता है, तो पाकिस्तान की सीमित आर्थिक क्षमता उसे लंबे समय तक संघर्ष करने की इजाजत नहीं देगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप करने से पहले पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक हालत को ध्यान में रखेगा।