India Strikes in Pakistan: देश में जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियानों की चर्चा हो रही है, तब यह गर्व का विषय है कि लखनऊ की बेटियां भी इस गौरवगाथा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। राजधानी की कई बेटियां आज भारतीय सेना, वायुसेना और नर्सिंग सेवा में अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए तिरंगे की रक्षा में तत्पर हैं। इन वीरांगनाओं के साथ-साथ उनकी माताओं की कहानियाँ भी लोगों के दिलों को छू रही हैं, जिन्होंने अपनी बेटियों के सपनों को उड़ान दी और देश सेवा के लिए तैयार किया।
Read more : IPL 2025 Suspended:भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच BCCI का बड़ा ऐलान…सभी मैच तत्काल प्रभाव से स्थगित
बचपन से ही था आसमान छूने का सपना
अर्जुनगंज निवासी मीना तिवारी की बेटी फ्लाइट लेफ्टिनेंट सौम्या तिवारी वर्ष 2023 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं। मीना जी भावुक होकर बताती हैं, “जब दूसरी लड़कियां गुड़ियों से खेलती थीं, मेरी बेटी किताबों और जहाजों में दिलचस्पी लेती थी। बचपन से ही उसमें कुछ अलग था।” सौम्या आज देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हैं।
अनुशासन और नेतृत्व की मिसाल: मेजर रिचा शर्मा
तेलीबाग के राजीव नगर की रहने वाली मेजर रिचा शर्मा ने वर्ष 2017 में सेना में कदम रखा। उनकी मां शीतलावती शर्मा ने कहा, “रिचा हमेशा अनुशासित रही और छोटी उम्र से ही उसमें नेतृत्व की क्षमता थी। जब पहली बार वह पोस्टिंग पर गई, तो मैंने आंसुओं की जगह उसे आशीर्वाद दिया।” आज रिचा सेना में अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं।
सेवा का जज़्बा: कैप्टन प्रज्ञा की कहानी
सैनिक विहार, टेलीबाग की कैप्टन प्रज्ञा वर्तमान में मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में कार्यरत हैं। उनकी मां भारती निगम बताती हैं कि प्रज्ञा को शुरू से ही लोगों की सेवा करने का जुनून था। “जब उसने कहा कि वह सेना में नर्स बनकर देश की सेवा करना चाहती है, तो मुझे उस पर गर्व हुआ,”।
“जब मोहल्ले ने दी सलामी”
नीलमथा की फ्लाइट लेफ्टिनेंट दिव्या कुशवाहा ने 2021 में वायुसेना में अपनी जगह बनाई। उनकी मां संध्या कुशवाहा कहती हैं, “जब दिव्या ने पहली बार यूनिफॉर्म में फोटो भेजी, तो पूरा मोहल्ला गर्व से उसे सलाम कर रहा था। मेरे लिए वह पल बेहद भावनात्मक था।”
Read more : India Pakistan War: सांबा में 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को बीएसएफ ने मार गिराया, पाक की साजिश हुई नाकाम
लेफ्टिनेंट कर्नल बनकर दिखाई राह
त्यागी बिहार की रहने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल आशु शर्मा, वर्ष 2010 बैच की अधिकारी हैं। उनकी मां सीता शर्मा बताती हैं कि आशु बचपन से ही बड़े सपने देखती थी। “जब उसका प्रमोशन हुआ, तो उसने सबसे पहले मुझे फोन किया और कहा, ‘मां, आज आपका सपना भी पूरा हुआ।’”
Read more : India Pakistan War: सांबा में 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को बीएसएफ ने मार गिराया, पाक की साजिश हुई नाकाम
नारीशक्ति बनी प्रेरणा
इन बेटियों की कहानियां यह साबित करती हैं कि देशभक्ति और बलिदान का जज़्बा किसी लिंग का मोहताज नहीं होता। लखनऊ की ये बेटियां आज हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं — जो तिरंगे की रखवाली में गर्व से खड़ी हैं।