India Pak News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने केंद्र सरकार के उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से दूरी बना ली है, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंचों पर उजागर करने के लिए विदेश भेजा जा रहा है। रविवार को टीएमसी ने केंद्र को जानकारी दी कि पार्टी इस मिशन का हिस्सा नहीं बनेगी।
यूसुफ पठान को मिशन से हटाया

सूत्रों के अनुसार, टीएमसी ने अपने लोकसभा सांसद यूसुफ पठान को इस अंतरराष्ट्रीय दौरे पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल से अलग कर दिया है। पठान को सात में से एक समूह में शामिल किया गया था, पर अब पार्टी ने उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी। टीएमसी की ओर से इस फैसले की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई गई है।
कौन हैं यूसुफ पठान?
आपको बता दे कि, गुजरात के वड़ोदरा से ताल्लुक रखने वाले युसूफ पठान ने टीएमसी के टिकट पर बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को 85,000 वोटों से हराकर चर्चाओं में आए थे। उनकी जीत को ममता बनर्जी की रणनीतिक सफलता माना गया।
देश के कूटनीतिक मिशन से TMC का किनारा
टीएमसी के इस फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब ममता बनर्जी को घेर सकती है। पहले से ही बीजेपी उन पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ममता का यह कदम भी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है या यह वाकई में नीति से जुड़ा निर्णय है? क्या यह फैसला पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश है?
शशि थरूर को लेकर कांग्रेस-केंद्र में टकराव

इससे पहले कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर टकराव हो चुका है। सरकार ने जब सांसद शशि थरूर को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया, तो कांग्रेस ने आपत्ति जताई और कहा कि पार्टी ने थरूर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था। थरूर और कांग्रेस के बीच की खटास इस विवाद को और गहरा कर रही है।
विदेश यात्रा पर जाएगा 58 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल
दरअसल, सरकार ने कुल 58 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को दुनिया भर के विभिन्न देशों में भेजने का फैसला किया है। ये प्रतिनिधि सात समूहों में बंटे हैं और उनका उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद और आतंकी हमलों की सच्चाई को उजागर करना है। इसमें शामिल कुछ बड़े नाम हैं – सुप्रिया सुले (एनसीपी), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना), सलमान खुर्शीद (कांग्रेस), एमजे अकबर आदि।
टीएमसी के फैसले से खड़े हुए सवाल
टीएमसी का इस मिशन से हटना कई सवाल खड़े करता है – क्या विपक्ष देशहित के मसले पर एकजुट नहीं हो पा रहा? या यह केवल राजनीतिक चाले हैं? आने वाले दिनों में केंद्र और विपक्ष के बीच इस मसले पर बहस और तीखी हो सकती है।