India Flash PMI: एसएंडपी ग्लोबल द्वारा 24 जनवरी को जारी एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कम्पोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के अनुसार, जनवरी 2025 के दौरान भारत की व्यावसायिक गतिविधि में एक साल से अधिक समय में सबसे धीमी वृद्धि दर देखी गई है। यह रिपोर्ट देश के आर्थिक प्रदर्शन में संभावित कमजोरियों को उजागर करती है, खासकर तब जब कंपनियां अभूतपूर्व गति से कर्मचारियों की भर्ती बढ़ा रही हैं। इस वृद्धि में सुस्ती, वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति पर चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है।
सेवा क्षेत्र की मंदी से विकास में अस्थिरता: सरकार की भविष्यवाणी

भारत के सेवा क्षेत्र, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चालक है, अब विकास की स्थिरता को लेकर चिंताजनक संकेत दे रहा है। सरकारी पूर्वानुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.4% तक कम हो सकती है। इन संकेतों ने अर्थव्यवस्था की गति में कमजोर पड़ने के संकेत दिए हैं, जो 2025 की शुरुआत में एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बना सकते हैं।
जनवरी पीएमआई में गिरावट
जनवरी में पीएमआई रीडिंग घटकर 57.9 पर आ गई, जो नवंबर 2023 के बाद से सबसे कम स्तर है। यह दिसंबर के आंकड़े 59.2 से गिरावट दर्शाता है। हालांकि, यह सूचकांक 50 के अहम सीमा से ऊपर रहा है, जो कि विकास और संकुचन के बीच का बफर स्तर है। यह स्थिति दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अब भी विकास की गति कायम है, लेकिन यह पिछले महीनों की तुलना में धीमी हुई है।
विनिर्माण क्षेत्र में स्थिरता, लेकिन सेवा क्षेत्र में गिरावट

विनिर्माण क्षेत्र ने इस माह लचीलापन दिखाया और पीएमआई 56.4 से बढ़कर 58.0 तक पहुंच गया, जो छह महीने का उच्चतम स्तर है। इसके बावजूद, सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय गिरावट आई, जहां पीएमआई जनवरी में 59.3 से गिरकर 56.8 पर आ गया। यह 26 महीनों में सबसे कम रीडिंग है। सेवा क्षेत्र में यह गिरावट भारत के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण चिंताजनक संकेत हो सकती है, क्योंकि यह देश की कुल वृद्धि में बड़ी भूमिका निभाता है।
क्या भारत की अर्थव्यवस्था में कमजोरियां आ सकती हैं?
भारत के लिए एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, “भारत का विनिर्माण क्षेत्र साल की शुरुआत में मजबूत दिख रहा है, खासकर जब उत्पादन और नए ऑर्डर तीसरी तिमाही में सुस्ती से उबर गए हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि सेवा क्षेत्र में नए घरेलू व्यवसायों में आई मंदी भारत की अर्थव्यवस्था में संभावित कमजोरियों का संकेत देती है, जो आगे चलकर विकास की गति को प्रभावित कर सकती है।
भारत की व्यावसायिक गतिविधि में जनवरी 2025 में आई सुस्ती, एक बार फिर से आर्थिक चुनौतियों की ओर इशारा करती है। यदि सेवा क्षेत्र में गिरावट का सिलसिला जारी रहता है, तो इससे भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में मजबूती ने कुछ राहत दी है, लेकिन अगर यह सेवा क्षेत्र की मंदी को संतुलित नहीं कर पाया, तो समग्र विकास में रुकावट आ सकती है।