Independence Day 2024:  गांधी जी के 5 प्रमुख आंदोलन…जिसने बदल दी हिन्दुस्तान की तस्वीर…

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
गांधी जी के 5 प्रमुख आंदोलन...जिसने बदल दी हिन्दुस्तान की तस्वीर.

Independence Day 2024: भारत को आजादी मिले 77 साल हो चुके हैं, और इस स्वतंत्रता को हासिल करने में कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान रहा है. इनमें से महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नेतृत्व में चलाए गए आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया. गांधी जी के सत्य और अहिंसा के प्रयोगों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी. आइए जानते हैं गांधी जी के पांच प्रमुख आंदोलनों के बारे में, जिन्होंने भारत की आजादी की नींव रखी.

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चंपारण सत्याग्रह: पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन (1917)

चंपारण सत्याग्रह: पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन (1917)

महात्मा गांधी द्वारा 1917 में बिहार के चंपारण जिले से शुरू किया गया चंपारण सत्याग्रह भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था. इस आंदोलन के माध्यम से गांधी जी ने पहली बार लोगों के विरोध को अहिंसक सत्याग्रह के रूप में प्रकट किया. यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था और इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा.

असहयोग आंदोलन: स्वराज की पहली गूंज (1920)

असहयोग आंदोलन: स्वराज की पहली गूंज (1920)

असहयोग आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने 1 अगस्त 1920 को की थी. इस आंदोलन के तहत, छात्रों ने स्कूल-कॉलेज जाना बंद कर दिया, मजदूरों ने हड़ताल कर दी, और वकीलों ने अदालतों में जाना बंद कर दिया. यह आंदोलन अहिंसा पर आधारित था और ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाने में सफल रहा. हालांकि, 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया। इसके बावजूद, इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति दी.

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दांडी मार्च: नमक सत्याग्रह का आगाज (1930)

दांडी मार्च: नमक सत्याग्रह का आगाज (1930)

असहयोग आंदोलन के आठ साल बाद, 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने दांडी मार्च की शुरुआत की. इस आंदोलन के माध्यम से गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ आवाज उठाई। 24 दिन के इस पैदल मार्च ने ब्रिटिश शासन के नमक कानून को चुनौती दी. इस आंदोलन के दौरान सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाईं लेकिन अपने कदम पीछे नहीं हटाए। 1931 में गांधी-इरविन समझौते के बाद यह आंदोलन समाप्त हुआ और ब्रिटिश सरकार ने नमक कर को वापस लिया.

छुआछूत विरोधी आंदोलन: सामाजिक सुधार की दिशा (1933)

छुआछूत विरोधी आंदोलन: सामाजिक सुधार की दिशा (1933)

महात्मा गांधी ने 8 मई 1933 को छुआछूत के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की. इस दौरान गांधी जी ने 21 दिन का उपवास किया और छुआछूत को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया। इससे पहले 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की थी. दलित समुदाय के लिए ‘हरिजन’ नाम भी गांधी जी ने दिया था और उन्होंने ‘हरिजन’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन भी शुरू किया.

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भारत छोड़ो आंदोलन: अंतिम संघर्ष (1942)

भारत छोड़ो आंदोलन: अंतिम संघर्ष (1942)

9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की. मुंबई में हुई रैली में गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं और गांधी जी समेत कई बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए. यह आंदोलन भारत की आजादी की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण साबित हुआ और ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया.

इन पांच आंदोलनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और अंततः 1947 में भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गांधी जी के ये संघर्ष हमें याद दिलाते हैं कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भी बड़ी से बड़ी ताकत को झुकाया जा सकता है.

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