IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में खेले गए पांचवें और निर्णायक टेस्ट मैच में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ ही भारत का डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया और 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भी भारतीय टीम के हाथ से चली गई। इस हार ने जहां भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को मायूस किया, वहीं टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर भी गुस्से में नजर आए।
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सिडनी टेस्ट में भारत की हार
ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराया और इस मैच को जीतने के लिए उसे 161 रनों की आवश्यकता थी, जिसे कंगारू टीम ने सिर्फ चार विकेट खोकर हासिल कर लिया। मैच तीसरे ही दिन समाप्त हो गया और इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 सीरीज को 3-1 से जीत लिया।

साथ ही, इस जीत ने ऑस्ट्रेलिया को डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए क्वालिफाई करवा दिया। दूसरी ओर, भारत के लिए यह हार दो बड़ी परेशानियों का कारण बनी। सबसे पहले, भारत का तीसरी बार डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचने का सपना चूर हो गया, और दूसरा, भारत ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवाई।
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गौतम गंभीर का गुस्सा
हार के बाद भारतीय टीम के कोच गौतम गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी निराशा और गुस्सा जाहिर किया। उनके चेहरे पर साफ तौर पर गुस्सा नजर आ रहा था। गंभीर ने टीम के सीनियर खिलाड़ियों को लेकर कड़े शब्द कहे और यह कहा कि अब वक्त आ गया है कि हर खिलाड़ी अपनी जिम्मेदारी समझे। उन्होंने विशेष रूप से टीम के कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों से उम्मीद जताई कि वे टीम के लिए अपना सर्वोत्तम योगदान दें।

गंभीर ने सीनियर खिलाड़ियों से यह भी कहा कि अगर उनकी स्थिति में सुधार नहीं होता, तो उन्हें घर वापस भेजा जा सकता है। उन्होंने अल्टीमेटम देते हुए कहा, “हर किसी को घर जाकर अपने खेल पर विचार करना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि वे टीम के लिए क्या योगदान दे सकते हैं। अगर यह निरंतरता नहीं आती है, तो हमें नए विकल्पों पर विचार करना होगा।”
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टीम इंडिया की स्थिति

गौतम गंभीर का गुस्सा इस बात से भी जुड़ा था कि भारतीय क्रिकेट टीम को मिली इस हार ने उन्हें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने का मौका खो दिया। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि टीम के सीनियर खिलाड़ियों को अब अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी। गंभीर ने टीम की निरंतरता पर भी सवाल उठाया और कहा कि इस हार के बाद टीम को एक बड़ा आत्ममंथन करने की आवश्यकता है।