एम्स अस्पताल निर्माण को लेकर सर्वदलीय बंदी में वैश्य समाज की होगी पूर्ण सहभागिता

Sharad Chaurasia
By Sharad Chaurasia
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बिहार(सहरसा): संवाददाता- शिवकुमार

सहरसा। सहरसा में एम्स अस्पताल निर्माण आंदोलन को लेकर शनिवार को वैश्य समाज ने बैठक आयोजित कर 31 जुलाई को सर्व दलीय बंद में अपनी सहभागिता देने का निर्णय लिया गया। इसके लिए वैश्य समाज आगामी 31 जुलाई को अपनी अपनी व्यावसायिक प्रतिष्ठान को बंद कर व्यापक जनसमर्थन में भागीदार बनेगी। वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण उर्फ मोहन साह ने कहा कि वर्षों से चिरप्रतीक्षित एम्स निर्माण की मांग कोसी वासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी मौलिक अधिकार है।

वैश्य समाज ने आंदोलन सफल बनाने की मांगः

लेकिन बिहार सरकार इसे पूरा नहीं कर रही है। जबकि कोसी नदी की बाढ़ की पीड़ा का दंश झेल रहे कोसी इलाके के लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं अभी तक मुहैया नहीं है। यहां के लोगों को गंभीर बीमारी के लिए लाखों रुपए खर्च कर के पटना, दिल्ली इलाज़ के लिए जाते है। लेकिन गरीब लोग पैसे के अभाव असमय काल के ग्रास बन रहें हैं। अगर समृद्ध लोगों की बात की जाएं तो गंभीर बीमारी के इलाज़ में समय से बड़े अस्पताल नहीं पहुंच पाए के कारण रास्ते में उनकी मौत हो जाती है।

अत: जनहित में सहरसा के तमाम राजनीतिक दल दलगत भावना से ऊपर उठकर एम्स आंदोलन को सफल बनाएं। साथ ही हरेक जाति, धर्म के आम अवाम, खासकर युवा इस महती एम्स आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। वहीं वैश्य समाज के प्रवक्ता व भाजपा नेता राजीव रंजन साह ने कहा कि वक्त की मांग है कि सहरसा में एम्स हो। लेकिन राज्य सरकार कुंभकर्णी निद्रा में सोई हुई है। सहरसा प्रमंडलीय मुख्यालय में एम्स के लायक़ प्रर्याप्त जमीन उपलब्ध है।

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सहरसा विकास के मामलें मे लगातार पिछड़ रहा

राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं रहने के कारण एम्स निर्माण अधर में है। सहरसा के लोगों के लिए स्वास्थ्य के बेहतर विकल्प का एकमात्र माध्यम एम्स निर्माण है। इस अवसर पर महिषी प्रखंड के पूर्व प्रमुख सीताराम साह,वैश्य समाज के उपाध्यक्ष श्यामनंदन पोद्दार विशाल कुमार बिट्टू, नाई संघ के अध्यक्ष विजेन्द्र ठाकुर, विवेक भगत,अरूण जयसवाल, महासचिव संजय कुमार, युवा अध्यक्ष अजीत कुमार अजय आदि ने कहा की आजादी के वर्षो बीत जाने के बाद भी सहरसा विकास के मामला मे लगातार पिछड़ रहा है। चाहे एम्स हो या एयरपोर्ट, हो या ओवरब्रिज, चाहे मेडिकल कॉलेज हो सब सहरसा से अब तक दूर है। अब तक के शासनकर्ता द्वारा एक अदद बैजनाथपुर का पेपर मिल नही खुलवा सकी है। अब सहरसा की जनता उब चुकी है ।

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