Waqf Amendment Bill 2024 का इमरान मसूद ने किया विरोध..स्पीकर को पत्र लिखकर बताई वजह

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
Waqf Amendment Bill:

Waqf Amendment Bill: उत्तर प्रदेश स्थित सहारनपुर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) का विरोध किया है. स्पीकर को भेजी एक चिट्ठी में मसूद ने विधेयक का विरोध करने की कई महत्वपूर्ण वजहें बताई है. इमरान मसूद ने लिखा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन करता है. उन्होंने बताया कि यह विधेयक, अपने वर्तमान स्वरूप में, संविधान के अनुच्छेद 15, 25, 26, 29 और 30 के तहत गारंटीकृत समानता, धर्म की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अधिकारों के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन करता है.

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अनुच्छेद 15 का उल्लंघन

इमरान मसूद ने लिखा कि अनुच्छेद 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकता है. इस विधेयक के माध्यम से किसी विशेष धार्मिक समुदाय के मामलों को विनियमित करने का प्रयास करके, सरकार सीधे इस मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन कर रही है.उन्होंने लिखा कि अनुच्छेद 25 धर्म को मानने, उसका अभ्यास करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता हैय यह विधेयक, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में हस्तक्षेप करके, मुस्लिम समुदाय की धार्मिक प्रथाओं का उल्लंघन करता है.

अनुच्छेद 26 और 30 के अधिकारों पर खतरा

कांग्रेस नेता ने लिखा कि अनुच्छेद 26 और 30 धार्मिक संप्रदायों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के अधिकारों की रक्षा करते हैं. यह विधेयक, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर संभावित रूप से अतिक्रमण करके, जिसमें अक्सर शैक्षणिक संस्थान शामिल होते हैं, इन अधिकारों के लिए एक सीधा खतरा है.

इमरान मसूद ने लिखा कि अनुच्छेद 29 नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने के अधिकार की गारंटी देता है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन ढांचे में बदलाव करके, जो अक्सर मुस्लिम समुदाय की सांस्कृतिक विरासत के साथ गहराई से जुड़ी होती हैं, यह विधेयक उस अधिकार को भी कमजोर करता है.

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पुनर्विचार करने का आग्रह किया

आपको बता दे कि इमरान मसूद के अनुसार, यह विधेयक (Waqf Amendment Bill 2024) संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, और इसे पारित करने से धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए, मसूद ने स्पीकर से इस विधेयक पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

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