इलाहाबाद HC का अहम फैसला, सहमति से बने लंबे संबंध को रेप नहीं माना जा सकता

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यौन शोषण से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि लंबे समय तक सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों को बलात्कार नहीं माना जा सकता, भले ही शादी के वादे को बाद में पूरा न किया गया हो. कोर्ट ने साफ किया कि महज शादी का झूठा वादा करने के आधार पर सहमति से बने संबंधों को रेप की श्रेणी में रखना उचित नहीं है.

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मुरादाबाद के मामले में आरोपी को राहत

मुरादाबाद के मामले में आरोपी को राहत

बताते चले कि मुरादाबाद के एक मामले में, कोर्ट ने आरोपी श्रेय गुप्ता (Justice Anish Kumar Gupta) के खिलाफ चल रही क्रिमिनल कार्यवाही को रद्द करते हुए उसे बड़ी राहत दी है. जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने आरोपी की याचिका को मंजूरी दी और कहा कि बारह-तेरह साल तक सहमति से बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता, सिर्फ इसलिए कि शादी का वादा पूरा नहीं हुआ.

बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का केस

बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का केस

2018 में मुरादाबाद (Moradabad) की एक महिला ने महिला थाने में श्रेय गुप्ता के खिलाफ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का केस दर्ज कराया था. महिला का आरोप था कि उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान, श्रेय ने उससे शारीरिक संबंध बनाए और शादी का वादा किया. पति की मृत्यु के बाद भी दोनों के बीच संबंध जारी रहा, लेकिन 2017 में श्रेय ने किसी और महिला से सगाई कर ली.

महिला ने दावा किया कि श्रेय ने उसे शादी का झूठा वादा कर संबंध बनाए, जिसे कोर्ट ने सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी देखा कि महिला अपने पति के जीवित रहते हुए ही आरोपी के साथ रिश्ते में थी और इस पूरे मामले में सहमति से संबंध बनाए गए थे.

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न्यायालय ने दिया ये तर्क

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर इतने लंबे समय तक दोनों के बीच सहमति से संबंध रहे, तो इसे रेप नहीं माना जा सकता, भले ही शादी का वादा पूरा नहीं हुआ हो. कोर्ट ने इस आधार पर आरोपी के खिलाफ चल रही चार्जशीट को खारिज कर दिया है.

क्या है इस फैसले का महत्व ?

क्या है इस फैसले का महत्व ?

इस फैसले का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह उन मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है, जहां सहमति से बने लंबे संबंधों को शादी के झूठे वादे के आधार पर रेप का मामला बना दिया जाता है. अदालत ने साफ किया कि सिर्फ शादी से इनकार करना सहमति से बने संबंध को अपराध की श्रेणी में नहीं ला सकता. यह फैसला कानूनी रूप से यह स्थापित करता है कि सहमति से बनाए गए संबंधों में यदि शादी का वादा पूरा नहीं होता है, तो इसे बलात्कार का मामला नहीं कहा जा सकता.

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