IMF Loan To Pakistan:आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत की एक और किस्त के रूप में 1 बिलियन डॉलर की सहायता राशि प्राप्त हुई है। लेकिन यह राहत बिना शर्त नहीं है। आईएमएफ ने इस बार पाकिस्तान को अपनी आर्थिक नीतियों में बड़े सुधार करने के लिए 11 नई कड़ी शर्तें लागू कर दी हैं। आईएमएफ को इस बात की चिंता सता रही है कि पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति इतनी जर्जर है कि दी गई राशि डूब भी सकती है।
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भारत-पाक तनाव को बताया बड़ा आर्थिक जोखिम

आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा तनाव उसके आर्थिक कार्यक्रम के लिए एक गंभीर जोखिम बन सकता है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान द्वारा लगातार रक्षा बजट में बढ़ोतरी करना इस चिंता को और बढ़ा रहा है। पाकिस्तान का नया रक्षा बजट 2414 अरब रुपये का है, जो पिछले साल की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है।
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जानिए IMF की वो 11 सख्त शर्तें जो पाकिस्तान को माननी होंगी

- पार्लियामेंट से 17,600 अरब रुपये के बजट को पास कराना होगा।
- बिजली के बिलों में वृद्धि करनी होगी।
- तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाना होगा।
- चार संघीय इकाइयों में नया कृषि आयकर कानून लागू करना होगा, जिसमें करदाता पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग और अनुपालन सुधार शामिल हैं।
- देश में आर्थिक सुधारों को लेकर संचार अभियान को मजबूत बनाना होगा।
- आईएमएफ की सिफारिशों पर आधारित संचालन सुधारों को लागू करना होगा।
- वित्तीय क्षेत्र की 2027 के बाद की रणनीति बनाकर सार्वजनिक करनी होगी।
- ऊर्जा क्षेत्र में चार सुधार लागू करने होंगे, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण प्रणाली में सुधार और वित्तीय पारदर्शिता लाना शामिल है।
- रक्षा खर्च में अनुशासन लाने की अप्रत्यक्ष चेतावनी दी गई है।
- महंगाई और फाइनेंशियल रिस्क को काबू में लाने की कार्ययोजना तैयार करनी होगी।
- आर्थिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
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IMF की चिंता: कहीं डूब न जाए पैसा
पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था, आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप, बढ़ते रक्षा खर्च और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए IMF को यह डर है कि कर्ज की गई राशि का सही उपयोग नहीं होगा। यही वजह है कि IMF ने सख्त रुख अपनाते हुए शर्तों की संख्या और गंभीरता दोनों बढ़ा दी हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट की ओर बढ़ रही है, और अब IMF की शर्तों ने उसे नीतिगत सुधारों की अनिवार्यता की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। यदि पाकिस्तान इन शर्तों को समय पर पूरा नहीं करता, तो भविष्य में कर्ज की अगली किश्त मिलना मुश्किल हो सकता है। साथ ही भारत से तनाव और बढ़ता रक्षा बजट पाकिस्तान के लिए आर्थिक संकट को और गहरा कर सकता है।