IITian Baba at Mahakumbh: प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में इस बार कुछ खास संत और बाबा पहुंचे हैं, जिनमें से एक प्रमुख नाम है मसानी गोरख बाबा, जिन्हें आईआईटी बाबा के नाम से भी जाना जाता है। आईआईटी बाबा ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद साधु जीवन अपनाया है, और उनकी यह यात्रा बेहद दिलचस्प है। आइए जानते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद क्यों साधु बनने का निर्णय लिया।
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आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई

आईआईटी बाबा का असली नाम अभय सिंह है और वे हरियाणा के निवासी हैं। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में की थी। आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनके पास एक उज्जवल करियर के कई विकल्प थे, लेकिन उन्होंने अपनी राह बदलने का साहसिक निर्णय लिया और साधु जीवन को अपनाया।
फोटोग्राफी के प्रति गहरी रुचि

अभय सिंह की फोटोग्राफी के प्रति गहरी रुचि थी। इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद उन्होंने यह महसूस किया कि इस क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें एक डिग्री की आवश्यकता है। इसके बाद उन्होंने एक वर्ष तक कोचिंग ली और फोटोग्राफी की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया। लेकिन जीवन के कुछ मोड़ ऐसे आए, जिन्होंने उन्हें अध्यात्म की ओर खींच लिया।
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विज्ञान को छोड़कर अध्यात्म की ओर कदम

एक साक्षात्कार के दौरान, जब उन्होंने यह खुलासा किया कि वे आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं, तो साक्षात्कारकर्ता चौंक गए। उन्होंने बाबा से पूछा कि वे इस स्थिति तक कैसे पहुंचे। इस पर आईआईटी बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह स्थिति सबसे उत्तम है, ज्ञान के पीछे चलते जाना चाहिए।” उनके इस उत्तर ने यह साबित कर दिया कि जीवन में कभी भी किसी भी दिशा में बदलाव लाना संभव है, बशर्ते इरादा मजबूत हो।
आईआईटी बॉम्बे से बाबा बनने की कहानी
अभय सिंह ने बताया कि उनकी शिक्षा और फोटोग्राफी के शौक के बावजूद उनका मन हमेशा कुछ और करने की ओर खिंचता था। उन्होंने बताया कि उन्होंने थ्री इडियट्स जैसी फिल्में देखीं, जिनमें इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद अपने लिए एक अलग क्षेत्र चुनने की प्रेरणा दी गई थी। और अंततः उन्होंने साधु बनने का फैसला किया, जो उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
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महाकुंभ में उनकी उपस्थिति
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर आईआईटी बाबा अपनी आस्था के साथ पहुंचे हैं और साधु जीवन के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। उनके जीवन के अनुभव और उनका साधु बनने का सफर उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी पेशेवर जिंदगी से संतुष्ट नहीं हैं और किसी नई राह पर चलने का विचार कर रहे हैं।
इस प्रकार, आईआईटी बाबा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में संतुलन और आंतरिक शांति को पाने के लिए किसी भी मुकाम को छोड़कर नये मार्ग पर चलना कोई असंभव काम नहीं है।