- प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां तेज
Ayodhya News : 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के निर्माण कार्य पूरा होने से पहले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जोर-शोर से तैयारी चल रही है.हिंदू धर्म के प्रति श्रद्धा रखने वाले करोड़ों लोगों को इस खास दिन का इंतजार काफी लंबे समय से था लेकिन आखिरकार अब वो वक्त आ गया है जब पूरी दुनिया अयोध्या में प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखेगी।
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‘अयोध्या में 3 मंदिरों को किया था ध्वस्त’
अयोध्या में राम मंदिर के पूजित अक्षत वितरण समारोह में राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि,रामलला के मंदिर के साथ ही अयोध्या में दो और मंदिरों को ध्वस्त किया गया था…रामजन्मभूमि के लिए ठीक वैसा ही संघर्ष रहा होगा जैसा संघर्ष देश की आजादी के लिए हुआ था.देश में तीन हजार मंदिर तोड़े गए हैं हिंदू मंदिर पर हुए जुल्म का जिक्र ‘हिंदू टेंपल्स व्हाट हैपेंड टू देम’ नामक किताब में है…राम मंदिर के अलावा दूसरे मंदिर का नाम स्वर्गद्वारी मंदिर था एक मंदिर और त्रेता के ठाकुर का था ये तीनों मंदिर भगवान श्रीराम के थे किसी को नहीं पता कि,राम मंदिर के अलावा ये दो मंदिर कहां हैं लेकिन किताबों में इनका जिक्र है।
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‘लोगों को जगाने में लग गया लंबा वक्त’
चंपत राय का कहना है कि,देश को जानकारी नहीं थी इसलिए लड़ाई केवल राम जन्मभूमि की लड़ी गई.देश को जगाने और लोगों को ये सब बताने में बहुत लंबा वक्त लग गया.इस बीच अयोध्या की जनता को ये चिंता थी कि,कोई राम लला की मूर्ति न हटा दे इसलिए दिन-रात लोगों ने बैठकर सीताराम-सीताराम का जाप किया.हमें लोगों को जगाने में 8 साल लग गए इसके लिए हजारों संतों ने गांव-गांव जाकर मंदिर निर्माण के लिए लोगों मे जोश भरने का काम किया…इसका परिणाम ये हुआ कि,गीता जयंती के दिन 6 दिसंबर 1992 को तीन गुंबदों वाला ढांचा ध्वस्त कर दिया गया।
विवादित ढांचा गिरने के बाद लंबे चले संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद दोनों पक्षों में समझौते को लेकर मीटिंग हुईं….ये वार्ता विश्वविद्यालय मीटिंग हॉल और लखनऊ से लेकर हनुमानगढ़ी समेत कई मंदिरों में हुई थी.साढ़े चार महीने तक चली समझौता वार्ता में जह सहमति नहीं बन सकी तो कोर्ट ने भी कह दिया दोनों पक्षों के बीच बातचीत होना संभव नहीं है.चंपत राय ने बताया कि जब 4 महीने बाद भी समझौता वार्ता से कुछ हासिल नही हुआ तो कहा गया कि क्यों समय खत्म कर रहे हो. कुछ नहीं होगा. समझौते के लिए जो टीम बनी थी, उसने भी मान लिया कि कुछ नहीं हो सकता. और लिखकर दिया कि समझौता संभव नहीं है इसके बाद कोर्ट ने अपनी प्रक्रिया शुरू की थी।
‘6 अगस्त 2019 को सुनाया ऐतिहासिक फैसला’
6 अगस्त 2019 को कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच लंबी चली बहस के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस को समाप्त मान लिया और 9 नवंबर को सुप्रीमकोर्ट के 5 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया….इस फैसले के अनुसार 3 गुंबदों वाली इमारत की भूमि हिंदू समाज को दी गई और सरकार को 2 महीने के भीतर एक नया ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया गया.केंद्र सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया और भूमि को इसी ट्रस्ट को सौंप दिया।