लखनऊ: शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है। घरेलू और संस्थागत प्रसव के बाद आशा शिशु और प्रसूता की सेहत का हाल लेने के लिए घर का भ्रमण करेंगी। बीमार शिशुओं को अस्पताल में भर्ती कराने में मदद करेंगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के मुताबिक यह सुविधा होम बेस्ड न्यूबार्न केयर कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया है। इसे और रफ्तार देने की आवश्यकता है।
घरेलू और संस्थागत प्रसव के बाद आशा घर आकर शिशु की सेहत का हाल लेंगी…
नेशनल हेल्थ मिशन के तहत होम बेस्ड न्यूबार्न केयर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश में हर साल करीब 55 लाख प्रसव हो रहे हैं। बहुत से प्रसव घर में हो रहे हैं। इसकी तमाम वजह है। प्रसव पीड़ा के बाद भी काफी देर तक घर में गुजारा। दाईयों से प्रसव कराना आदि है। वहीं अस्पतालों में प्रसव के बाद जल्द से जल्द प्रसूता और शिशु को डिस्चार्ज किया जा रहा है। ताकि जच्चा-बच्चा को अस्पताल के संक्रमण से बचाया जा सके।
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छह से सात बार प्रशिक्षित आशा करेंगी भ्रमण…
शिशु और प्रसूता की सेहत के देखभाल के लिए होम बेस्ड न्यूबार्न केयर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत प्रशिक्षित आशा शिशु और मां की सेहत का हाल लेने के लिए घर आएंगी। यह प्रक्रिया 42 दिन चलेगी। संस्थागत प्रसव के मामले में छह बार आशा घर आएंगी। जबकि घरेलू प्रसव में सात बार आशा घर आकर शिशु और प्रसूता की सेहत का हाल लेंगे। शिशु देखभाल की टिप्स देंगी। जच्चा आपना ख्याल कैसे रखें? खान-पान क्या रखना है? कब टीका लगना आदि की जानकारी देंगे। बीमार जच्चा या बच्चा को अस्पताल में भर्ती कराने में मदद करेंगी।
इन बीमारियों की पहचान करेंगी…
निमोनिया
डायरिया
कुपोषण
बयान…
मातृ एवं शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में तेजी से कमी आ रही है। इसमें और सुधार के बावत लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। होम बेस्ड न्यूबार्न केयर कार्यक्रम के बेहतर संचालन के लिए दिशा निर्देश दिये गये हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के अधिकारियों को कार्यक्रम की निगरानी के निर्देश दिये हैं। समय-समय पर कार्यक्रम की प्रगति के बारे में अवगत कराने के लिए भी निर्देशित किया गया है। आशा को समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाये। ताकि बीमार बच्चों की समय पर पहचान की जा सके।