होली, रंगों का पर्व, भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन कुछ स्थानों पर इस त्योहार को मनाने के तरीके में अद्भुत विविधता देखने को मिलती है। हर क्षेत्र में होली के खेलने के खास और अनोखे तरीके होते हैं, जो उसकी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को दर्शाते हैं। कुछ स्थानों पर तो होली खेलते वक्त भक्त विशेष धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं, जबकि अन्य स्थानों पर यह सिर्फ एक खुशी का अवसर होता है।
बरसाना और नंदगांव में लठमार होली और रंगीली होली की परंपरा है, वहीं उज्जैन में महाकाल की होली को खास श्रद्धा से मनाया जाता है। बंगाल में डोल यात्रा, राजस्थान में व्रज की होली, और हरियाणा में हुड़दंग वाली होली के आयोजन भी बहुत प्रसिद्ध हैं। इन विभिन्न तरीकों से होली का पर्व देशभर में उल्लास और आनंद का प्रतीक बन जाता है।
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बरसाना-लठमार होली

उत्तर प्रदेश के बरसाना गांव में होली का उत्सव अनोखे तरीके से मनाया जाता है, जिसे लठमार होली कहा जाता है। यहां पर महिलाओं द्वारा पुरुषों को डंडों से पीटने की परंपरा है। इस होली में पुरुष राधा और कृष्ण की तरह सजते हैं और महिलाएं लठ लेकर उनके ऊपर रंग डालती हैं। इस दिन महिलाएं पुरुषों को हल्के-फुल्के डंडों से मारती हैं, जबकि पुरुष बचने के लिए भागते हैं। यह परंपरा राधा और कृष्ण के बीच के प्रेम और खेल को दर्शाती है।
नंदगांव-रंगीली होली

बरसाना के पास स्थित नंदगांव में भी होली का एक विशेष रूप मनाया जाता है। यहां पर होली के दौरान रंगों के अलावा संगीत, नृत्य और भव्य सजावट भी होती है। नंदगांव की होली में लोग राधा और कृष्ण के रूप में सजते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। यह यहां के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। लोग सजी-धजी सवारी में चलते हैं और धूमधाम से होली मनाते हैं।
उज्जैन-श्री महाकाल की होली

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में होली का उत्सव बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। यहां पर भगवान महाकाल के श्रृंगार के बाद होली खेली जाती है। विशेष रूप से महाकाल के भक्त रंगों के साथ पूजा करते हैं और इस दिन महाकाल के दर्शन के लिए मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दिन मंदिर के पुजारी भी रंगीन हो जाते हैं और रंगों की बौछार होती है। यह परंपरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और श्रद्धालु इसे बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।
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बंगाल-डोल यात्रा

बंगाल में होली का पर्व “डोल यात्रा” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा के रूप में पवित्र झूलों में सजे हुए होते हैं। लोग इन झूलों के चारों ओर रंगों से खेलते हैं और नृत्य करते हैं। बंगाल में होली के अवसर पर विशेष मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया जाता है। यह परंपरा शुद्ध प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।
हरियाणा-हुड़दंग वाली होली

हरियाणा में होली के दिन बहुत धूमधाम होती है। यहां के लोग खेतों में गाने और नृत्य के साथ होली मनाते हैं। विशेष रूप से गांवों में होली का उत्सव एकदम धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग ढोल की थाप पर नाचते हैं, गाते हैं और पानी और रंगों से खेलते हैं। इस दिन हरियाणा के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर आनंदित होते हैं।
राजस्थान-व्रज की होली

राजस्थान के कई हिस्सों में होली को “व्रज की होली” के रूप में मनाया जाता है। खासकर जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में यह परंपरा देखने को मिलती है। यहां के लोग विशेष रूप से रंगों से खेलते हैं और होली के गीत गाते हैं। जयपुर में विशेष रूप से एक भव्य होली उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें महल के आंगन में रंग और फूलों की वर्षा होती है।
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महाराष्ट्र-होली मिलन और पिठलू
महाराष्ट्र में होली का उत्सव “होली मिलन” के रूप में मनाया जाता है। यहां के लोग एक-दूसरे से गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र में “पिठलू” नामक परंपरा भी है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और पिठलू की मिठाई खाते हैं। यह परंपरा दोस्ती और भाईचारे को प्रकट करने का तरीका बन गई है।