Holi 2025 News:होली का त्योहार पूरे भारत में रंगों और खुशी के साथ मनाया जाता है। देशभर के विभिन्न हिस्सों में इसे धूमधाम से खेला जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के एक गांव में होली के दिन कुछ खास होता है। इस गांव में होली नहीं खेली जाती। जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के चोली गांव (Choli Village Holi) की, जहां परंपरागत रूप से होली नहीं मनाई जाती। यहां होली के दिन रंगों की जगह, लोग एक-दूसरे से अपने दुख और दर्द बांटते हैं।
चोली गांव की होली की अनोखी परंपरा

मध्य प्रदेश का यह चोली गांव विंध्याचल पर्वत की तलहटी में स्थित है, और यह गांव अपनी ऐतिहासिक धरोहर और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव में सदियों से एक खास परंपरा चली आ रही है, जिसके तहत होली का त्योहार खुशियों के बजाय दुखों को बांटने का दिन होता है। गांव के लोग इस दिन एक-दूसरे से अपनी कठिनाइयों और दुखों को साझा करते हैं, और इसे लेकर कोई उत्सव नहीं मनाया जाता। यह परंपरा यहां के रीति-रिवाजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
क्यों नहीं मनाई जाती होली?
चोली गांव में होली न मनाने की परंपरा के पीछे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण है। यहां के लोग मानते हैं कि होली के दिन एक-दूसरे के साथ दुख-दर्द बांटने से दिलों में प्यार और समझदारी बढ़ती है। यह परंपरा सामूहिक सहानुभूति और मानसिक शांति को बढ़ावा देती है। गांववाले इस दिन अपनी परेशानियों और व्यक्तिगत संघर्षों के बारे में बात करते हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है और समाज में एकता का संदेश फैलता है।
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होली का त्योहार और चोली गांव

आमतौर पर, होली रंगों और मिठाइयों का त्योहार माना जाता है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, गुजिया और पकवान खाते हैं, और खासतौर पर दोस्त और परिवार के लोग एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं। 2025 में होली 14 मार्च को मनाई जाएगी, और देशभर में होली की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। बाजार रंगों और गुलाल से सज गए हैं, और हर जगह होली के पारंपरिक उत्सव की धूम है।
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चोली गांव का अद्भुत पहलू
चोली गांव का यह परंपरा अपने आप में बहुत अनोखी है। यह गांव ना केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह अपने सामाजिक बंधन और सामूहिकता की मिसाल भी प्रस्तुत करता है। यहां के लोग इस दिन एक-दूसरे के दुखों को समझते हैं और उनके साथ दुख बांटते हैं, जिससे समुदाय में गहरी समझ और एकता का माहौल बनता है।