लाक्षागृह और मजार विवाद में हिंदुओं को मिली एक और बड़ी जीत..

Mona Jha
By Mona Jha

Baghpat: UP के बागपत से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां अब 50 सालों का लंबा इतंजार खत्म हुआ है। एक कहावत आपने पढ़ा होगा की सब्र का फल मीठा होता है।वहीं इस खबर को सुनने के बाद ऐसा ही लग रहा है। वही राममंदिर ,ज्ञानवापी के बाद हिंदूओं को एक और बड़ी जीत मिली है, मजार या लाक्षागृह विवाद के केस में हिंदू पक्ष को मालिकाना हक मिला गया है, इसमें 100 बीघा जमीन और मजार पर हिंदू पक्ष को मिली है।बीते लगभग 50 सालों से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। वहीं इस मामले में 10 से ज्यादा हिंदू पक्ष के गवाहों ने गवाही दी थी। सिविल जज शिवम द्विवेदी ने मुस्लिम पक्ष का वाद खारिज कर दिया, और ये फैसला हिंदू के पक्ष में सुनाया।

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हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे बसा है यह गांव

वहीं बताया जा रहा है कि यह मामला महाभारत काल से जुड़े लाक्षागृह का है। वहीं मुस्लिम समाज इसे शेख बदरुद्दीन की मजार बता रहा है। इसका वाद 1970 से बागपत सिविल कोर्ट में चल रहा हैं। वहीं महाभारत में बरनावा इलाके की पहचान वारणावत से की गई है। बरनावा हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे बसा गांव है। यहां लगभक 100 फिट ऊंचा और 100 बीघा जमीन में एक बड़ा टीला है। यह मान्यता है कि यही वो जगह है, जहां पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया गया था।

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ये है मुस्लिम पक्ष का कहना..

वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये उनके शेख बदरुद्दीन की कब्र और उनका कब्रिस्तान क्षेत्र है। जो की 1970 में हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद के बाद यह मुकदमा मेरठ सिविल कोर्ट में दायर किया गया, फिर इसे बागपत एडीजे कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। यूपी सरकार ने इस स्थल को महाभारत सर्किट के तहत विकसित करने की योजना बनाई है।

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इन जगहों पर भी चल रहा है विवाद

इससे पहले अयोध्या राम मंदिर विवाद सुलझने के साथ ही वहां राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। काशी के ज्ञानवापी में मंदिर होने की एएसआई रिपोर्ट पर हिंदू पक्ष को गर्व है। व्यासजी तहखाने में भी पूजा शुरू हो गई है।

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