Hindenburg Research on SEBI: हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के ताजे मामले में शॉर्ट सेलर फर्म ने बड़ा दावा किया है कि उनके लगाए गए आरोपों को SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कुछ हद तक स्वीकारा है। शनिवार रात को जारी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने SEBI प्रमुख और उनके पति धवल बुच पर अडानी स्कैंडल से कनेक्शन का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि SEBI ने अडानी समूह की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की क्योंकि SEBI चीफ का निवेश अडानी संबंधित एंटिटीज में था। सोशल मीडिया पर हिंडनबर्ग ने SEBI प्रमुख और उनके पति का बयान भी साझा किया, जिसमें उन्होंने इन आरोपों का जवाब दिया।
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निवेश का पुराना कनेक्शन
माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने अपने बयान में कहा है कि जिस फंड में निवेश किया गया था, वह 2015 का है जब वे दोनों सिंगापुर में निजी नागरिक थे। यह निवेश माधबी के SEBI में शामिल होने से लगभग दो साल पहले का है। निवेश का फैसला उनके पुराने दोस्त और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा के कहने पर लिया गया था, जिनका निवेश करियर बेहद मजबूत है।
अडानी समूह से कोई सीधा संबंध नहीं
बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि फंड ने कभी भी अडानी समूह की किसी भी कंपनी के बांड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया। यह बयान हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन करता है और SEBI प्रमुख की निष्पक्षता को दर्शाता है। डेढ़ साल पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर रिपोर्ट जारी की थी, जिसके चलते समूह के शेयरों में 83 प्रतिशत तक की गिरावट आई थी और ग्रुप का मार्केट कैप 80 बिलियन डॉलर से ज्यादा घट गया था। SEBI की जांच के बाद अडानी समूह को आरोपमुक्त पाया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पूरी तरह सही नहीं माना था।
सोशल मीडिया पर मच गयी थी खलबली: अगला शिकार कौन?
शनिवार सुबह हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च ने अपने एक्स पोस्ट में “Something Big Soon India…” के चार शब्द पोस्ट किए, जिससे भारतीय वित्तीय बाजार में हलचल मच गई। फाइनेंशियल मार्केट में चर्चा का बाजार गरम हो गया कि हिंडनबर्ग का अगला शिकार कौन होगा। हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट और SEBI प्रमुख पर लगाए गए आरोपों ने भारतीय वित्तीय बाजार में खलबली मचा दी है। इस मामले में सच्चाई की जांच आवश्यक है ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे। SEBI प्रमुख का निवेश पुराना होने के बावजूद, इस तरह के आरोपों से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
अडानी समूह पर पहले भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने भारी असर डाला था, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। इस तरह की रिपोर्टें भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकती हैं। इसलिए, नियामक संस्थाओं को समय पर और पारदर्शी जांच करनी चाहिए ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे। आगे आने वाले दिनों में इस मामले का क्या नतीजा होगा, यह देखने वाली बात होगी। हिंडनबर्ग की अगली रिपोर्ट और उसके संभावित प्रभाव पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। भारतीय वित्तीय बाजार में विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि निवेशकों का विश्वास कायम रहे।