हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) का शटडाउन अडानी समूह के खिलाफ उनकी रिपोर्ट के बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने अडानी समूह के वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के बाद, सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया था कि, उन्होंने भारतीय कंपनियों के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ली और गैर-सार्वजनिक जानकारी का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, अमेरिका में विभिन्न जांचों और सोरोस जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ हिंडनबर्ग के कथित संबंधों के आरोपों ने भी उसे अतिरिक्त दबाव में डाल दिया।
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कोई स्पष्ट कारण नहीं आया सामने
बता दे..कि, दबाव इतना था कि… हिंडनबर्ग ने अपनी रिसर्च फर्म को बंद करने का निर्णय लिया, हालांकि नाथन एंडरसन ने इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। इन घटनाओं ने यह संकेत दिया कि वैश्विक और भारतीय नियामक दोनों ही हिंडनबर्ग पर कड़ी निगरानी रख रहे थे, जिससे उसे अपना कामकाजी वातावरण चुनौतीपूर्ण महसूस हुआ।
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कारण बताओ नोटिस

हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) का शटडाउन अडानी समूह पर उनकी रिपोर्ट के बाद सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के चलते बढ़ती मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सेबी ने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाया कि उसने भारतीय कंपनियों के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ली थी और गैर-सार्वजनिक जानकारी का इस्तेमाल किया था, जिससे उसकी स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई।
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अमेरिकी जांचों की प्रक्रिया पर दबाव

इसके अलावा, हिंडनबर्ग और सोरोस के बीच कथित संबंधों को लेकर आरोप और अमेरिकी जांचों की प्रक्रिया ने भी उसे दबाव में डाला। इन बाहरी दबावों ने हिंडनबर्ग को अपने ऑपरेशन को बंद करने के निर्णय तक पहुँचाया। हालांकि नाथन एंडरसन ने शटडाउन का कोई विशिष्ट कारण नहीं बताया, यह स्पष्ट है कि विभिन्न राजनीतिक, कानूनी, और नियामकीय मुद्दों के चलते रिसर्च फर्म के लिए अपना काम जारी रखना कठिन हो गया था।