Helen Keller Day: हिम्मत की वह मिसाल जिसने अंधेरे से शुरू की अपने जीवन की कहानी

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra

Shobhna Rastogi

Helen Keller Day: आज पूरे विश्व में Helen Keller Day मनाया जा रहा है तो आज हम आपको Helen Keller Day पर अमेरिकन लड़की हेलन की कहानी बताएंगे।

यदि हमारे घर में थोड़ी ही देर लाइट चली जाती है,तो हमें अपने चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखता है और कुछ समय के लिए हमारा मस्तिष्क भी काम करना बंद कर देता है, कि अब हम क्या करें?कैसे काम करें? कुछ दिख नहीं रहा है ऐसे ही प्रश्न हम अपने आप से करते हैं। सोचिए कि जिस व्यक्ति के पूरे जीवन में ही अंधेरा छा गया हो और वह कुछ देख ना सकता हो। उस व्यक्ति के लिए यह बहुत ही बड़ी समस्या है आज हम आपको ऐसी ही एक अमेरिकन लड़की की कहानी बताएंगे। जिसने इस समस्या से लड़कर पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत बनी। यह कहानी किसी और की नहीं हेलन केलर की है।

जानें हेलन केलर कौन थी?

हेलन ऐडम्स केलर का जन्म 27 जून 1880 को अमेरिका के तस्कम्बिया में हुआ था इनके पिता का नाम अर्थर हेनले केलर था यह सेना में पूर्व कैप्टन थे और इनकी माता का नाम केट ऐडम्स केलर था। यह एक पूर्ण गृहणी थी।

क्या हेलन जन्म से ही डेप्थ ब्लाइंड थी?

हेलन जन्म से ही अंधी और बहरी नहीं थी। जन्म के 19 महीने बाद इन्हें पेट और मस्तिष्क की बीमारी ने घेर लिया था जिसने इनकी दृष्टि क्षमता व श्रवण क्षमता को छीन लिया था। लेकिन इनके पास वस्तुओं को छूकर पहचानने की शक्ति शेष थी और यह बोल भी सकती थी लेकिन जो व्यक्ति को दिखाई ना देता हो और सुनाई ना देता हो वह ज्यादा नहीं बोल सकता।

इस गंभीर समस्या के बाद हेलन के परिवार ने काफी प्रयास किया कि हेलन की यह समस्या खत्म हो जाए, लेकिन इस परेशानी को कोई भी डॉक्टर दूर नहीं कर पाया। फिर इनके माता-पिता ने विचार किया कि हेलन का दाखिला विकलांग विद्यालय में करा दिया जाए लेकिन यह भी विचार विफल रहा है, क्योंकि इनके घर से विद्यालय काफी दूर था।

हेलन के माता-पिता को यह चिंता थी कि उनकी बेटी सामान्य बच्चों की तरह अपनी जिंदगी जिए क्योंकि क्योंकि आप कल्पना करके सोचिए कि जिस व्यक्ति को इस संसार में किसी भी चीज का मतलब ही न पता हो तो ऐसे जीने का क्या फायदा इसी कारण हेलन के परिवार ने सोचा कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो हेलेन को घर आकर ही पढ़ाएं और चीजों का सही अर्थ बताएं इसलिए हेलन के परिवार को एक ट्यूटर की जरूरत थी।

हेलन के संपर्क में आए एनी सेलिवन …

एक बार हेलन की माता की मुलाकात डॉक्टर माइकल अनेग्नस से हुई और फिल्म के माता ने डॉक्टर को बताया कि हम हेलन के लिए एक क्यूट ढूंढ रहे हैं तभी डॉक्टर अनेग्नस ने एनी सेलिवन के बारे में बताया और इनकी माता-पिता ने हेलेन के लिए एनी सेलिवन को चुन लिया।

हेलन के जीवन का टर्निंग प्वाइंट…

हेलन केलर जब 6 वर्ष की थी तब इनके संपर्क में टीचर एनी सेलिवन आई और वही हेलन की लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था जहां से इनके पूरे जीवन को एक नई दिशा मिल गई। बता दें कि हेलेन के सफल जीवन में जितनी भूमिका हेलन की है उतनी ही भूमिका उनकी टीचर एनी की भी क्योंकि कभी हार ना मानने वाला जज्बा है हेलन में उनकी टीचर से आया था।

जब हेलन को टीचर एन ने सिखाना शुरू किया तब हेलन और एन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज ये नहीं था कि हेलेन को शब्द कैसे सिखाए जाए? बल्कि चैलेंज यह था कि उस शब्द का किस वस्तु के साथ संबंध है क्योंकि वह देख और सुन नहीं सकती थी उनको कैसे बताया जाए की इस शब्द का सही संबंध किस वस्तु से है।

आखिरकार हेलन ने शब्दों को पहचानना शुरू किया और फिर हेलन ने शब्द सीखें, वाक्य सीखें,ग्रामर और टच करके बोलना सीखा। हेलन ने सबसे पहले शब्द वाटर बोला। और फिर हेलन ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। हेलन दुनिया की पहली इंसान बनी जिसने डेप्थ ब्लाइंड होने के बावजूद B.A में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और दुनिया के लिए इंस्पिरेशन बन गई।

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हेलन और एन सेलिवन के बीच का संबंध..

यह कहानी अकेले हेलन की नहीं बल्कि उनकी टीचर एन सेलिवन की भी है क्योंकि एन ने मरते दम तक हेलन का साथ दिया क्योंकि यह एक टीचर और स्टूडेंट का संबंध नहीं था बल्कि एक दोस्ती का था। हेलन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘ स्टोरी ऑफ माय लाइफ ‘ में मैं कई बार अपनी टीचर का जिक्र किया और लिखा मैं अपनी टीचर के बिना इतना सोच भी नहीं सकती थी।

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