Health and Fitness: तेजी से बढ़ती जा रही मानसिक समस्याएं, स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए क्या है ज़रूरी?

Shilpi Jaiswal
By Shilpi Jaiswal

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किस प्रकार से शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बीमारी

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ सामाजिक कलंक की भावना दूर के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से किस तरह से जुड़े हैं और मेंटल हेल्थ की समस्या किस प्रकार से शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है?

अध्ययन में पाया कि, क्रोनिक बीमारियों के खतरे

इंटेंसिव केयर के डॉक्टर निर्मल सिंह बताते हैं, शरीर को स्वस्थ रखने और कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के खतरे के कम करने के लिए मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना बहुत जरूरी माना जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि सकारात्मक मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। वहीं जिन लोगों को स्ट्रेस-एंग्जाइटी या अन्य किसी प्रकार की दिक्कत होती है उनमें न्यूरोलॉजिकल बीमारियों सहित अस्थमा, हृदय रोगों को जोखिम बढ़ सकता है।

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50% से 80% लोगों को नींद की समस्या

मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लगभग 50% से 80% लोगों को नींद की समस्या होने लगती है। हालांकि सामान्य आबादी में से केवल 10% से 18% लोगों को नींद की समस्या का अनुभव होता है। नींद न आने या नींद की कमी होने को कई प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारण माना जाता है। नींद संबंधी विकार हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी गंभीर चिकित्सा स्थितियों का खतरा बढ़ा देते हैं।

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डायबिटीज और हार्ट की का प्रमुख कारण

इसके अलावा नींद की कमी के कारण वजन बढ़ने का भी जोखिम रहता है जिसे डायबिटीज और हार्ट की समस्याओं का प्रमुख कारण माना जाता है। पाया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य में गड़बड़ी के शिकार लोगों में क्रोनिक बीमारियों जैसे मधुमेह, अस्थमा, कैंसर, हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि डिप्रेशन के शिकार लोगों में हृदय रोग, स्ट्रोक होने का जोखिम हो सकता है। मेंटल हेल्थ की समस्या में होने वाले हार्मोनल बदलाव का संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर देखा जाता रहा है। हृदय रोग, हार्ट अटैक के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं, इसके लिए खराब मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को भी एक कारण माना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इसी तरह अकेलापन महसूस करना या सोशल आइसोलेशन में रहने वाले लोगों में भी हृदय रोगों से संबंधित समस्याएं देखी जाती रही हैं।

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