Haryana Election:’मिटा दो हस्ती जुल्मों की, बगावत हो..’, महज चार लाइन लिखकर पूर्व मंत्री बच्चन सिंह ने छोड़ा BJP का साथ, निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
minister Bachchan Singh

Haryana Election 2024: हरियाणा की सियासत में भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। राज्य में भाजपा के नेताओं द्वारा इस्तीफे का सिलसिला जारी है, और बच्चन सिंह आर्य ने अपनी नाखुशी जताते हुए मात्र चार लाइन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने लिखा, “मैं बच्चन सिंह आर्य विधानसभा क्षेत्र सफीदों, आज से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और प्रदेश कार्यकारिणी से त्याग पत्र देता हूं।”

बच्चन सिंह आर्य ने दो दिन पहले ही इस फैसले के संकेत दिए थे। सोशल मीडिया पर उन्होंने एक पोस्ट में लिखा था, “लगा दो आग पानी में, शरारत हो तो ऐसी हो, मिटा दो हस्ती जुल्मों की, बगावत हो तो ऐसी हो।” यह पोस्ट उनके पार्टी से अलग होने की नाराजगी का संकेत था। अब उन्होंने इसे वास्तविक रूप में बदलते हुए पार्टी से नाता तोड़ लिया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

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33 साल की राजनीति

बच्चन सिंह आर्य सफीदों विधानसभा सीट के एक प्रमुख और अनुभवी नेता माने जाते हैं। वह पिछले 33 साल से इस क्षेत्र में सक्रिय राजनीति कर रहे हैं। 1991 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जीत हासिल कर उन्होंने विधानसभा में प्रवेश किया था। इसके बाद, 2005 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव जीते और भूपेंद्र हुड्डा की सरकार का समर्थन किया।

आर्य की क्षेत्र में मजबूत पकड़ रही है, और उनके मतदाताओं के साथ गहरे संबंध माने जाते हैं। हालाँकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के टिकट पर सफीदों से चुनाव लड़ने का मौका मिला, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष से हार गए। भाजपा ने अब उनका टिकट काटकर राजकुमार गौतम को सफीदों सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, जिससे नाराज होकर बच्चन सिंह आर्य ने पार्टी से किनारा कर लिया।

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भाजपा में बगावत के बादल छाए

भाजपा ने बच्चन सिंह आर्य का टिकट काटकर, हाल ही में पार्टी में शामिल हुए राजकुमार गौतम को सफीदों से उम्मीदवार बनाया है। राजकुमार गौतम 1 सितंबर को जींद में हुई भाजपा की जन आशीर्वाद रैली के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। वह पहले जजपा के नेता थे और 2019 में जजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उस चुनाव में उन्होंने भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु सिंह को हराया था।

राजकुमार गौतम ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और नारनौंद के निवासी हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता इस क्षेत्र में लंबे समय से रही है, लेकिन भाजपा के लिए इस सीट पर अब स्थिति चुनौतीपूर्ण बनती नजर आ रही है। बच्चन सिंह आर्य के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने से भाजपा के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा। खुद पार्टी के भीतर हो रही बगावत ने राजकुमार गौतम के लिए भी चुनौती खड़ी कर दी है।

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सोशल मीडिया पर जतायी नाराजगी

बच्चन सिंह आर्य ने दो दिन पहले ही सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार किया था। उन्होंने कविता के रूप में अपने दिल की बात कही थी, जो कहीं न कहीं उनके बगावती तेवरों की ओर इशारा कर रही थी। इस पोस्ट के बाद अब उन्होंने अपने नाराजगी का ठोस कदम उठाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।

यह हरियाणा भाजपा के लिए मुश्किल की घड़ी है, क्योंकि उनके कई नेता एक-एक कर पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। ऐसे में, टिकट बंटवारे से नाराज नेताओं की बगावत भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है। सफीदों सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है, जिसमें भाजपा के राजकुमार गौतम, कांग्रेस के उम्मीदवार और निर्दलीय के रूप में बच्चन सिंह आर्य के बीच कड़ा संघर्ष हो सकता है।

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भाजपा के लिए चुनौती भरा दौर

बच्चन सिंह आर्य के इस्तीफे से भाजपा की अंदरूनी राजनीति में खलबली मच गई है। पार्टी को उम्मीद थी कि क्षेत्र के वरिष्ठ नेता उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे, लेकिन टिकट कटने के बाद पार्टी के लिए स्थिति बदल गई है। भाजपा के सामने अब एक बड़ा सवाल यह है कि वह कैसे अपने नाराज नेताओं को मनाए और चुनावों में एकजुटता से जीत हासिल करे। बच्चन सिंह आर्य के इस्तीफे के बाद भाजपा को इस सीट पर अपनी स्थिति को फिर से सुदृढ़ करने की जरूरत है, क्योंकि अब यह सीट भाजपा के लिए पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।

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