Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. राज्य की सभी 90 सीटों के लिए एक ही चरण में 1 अक्टूबर को मतदान होगा और इसके नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. जैसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ वैसे ही प्रदेश की सियासी हलचल तेज हो गई है. लेकिन इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव आयोग से मतदान की तारीख बदलने की मांग की है.
हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष ने EC को लिखा पत्र
बताते चले कि हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 1 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तारीख बदलने की गुजारिश की है. उनका कहना है कि इस तारीख के आसपास कई छुट्टियां हैं, जिससे लोग बाहर घूमने जा सकते हैं और इसका असर मतदान प्रतिशत पर पड़ सकता है. बडोली ने अपने पत्र में लिखा है कि 28 सितंबर को शनिवार और 29 सितंबर को रविवार है, जबकि 30 सितंबर को सोमवार को वर्किंग डे है और फिर 1 अक्टूबर को मंगलवार को मतदान होगा. इसके बाद 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती की छुट्टियाँ हैं। इस लंबे वीकेंड के कारण लोग छुट्टियों पर जा सकते हैं, जिससे मतदान प्रतिशत कम हो सकता है.
बीजेपी की मांग पर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया
आपको बता दे कि बीजेपी की इस मांग पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “चुनाव की घोषणा हो चुकी है और इसकी घोषणा हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है। इसका मतलब है कि वे (बीजेपी) चुनाव को टालना चाहते हैं. यह उनकी हार की स्वीकारोक्ति है. हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग समय पर चुनाव कराए, क्योंकि जनता नहीं चाहती कि यह सरकार एक दिन भी सत्ता में रहे.”
2019 के चुनाव और मौजूदा स्थिति की तुलना
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में भी एक ही चरण में मतदान हुआ था। उस समय 21 अक्टूबर को वोट डाले गए थे और 24 अक्टूबर को नतीजे आए थे। उस चुनाव में 68.20 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। बीजेपी को 36.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 40 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 28.2 प्रतिशत वोट मिले थे और वह 31 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरे स्थान पर रही थी.
दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 14.9 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 10 सीटें जीती थीं. हरियाणा लोकहित पार्टी को एक प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे, लेकिन उसने एक सीट पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा, सात निर्दलीय और एक अन्य उम्मीदवार भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
गठबंधन और सरकार गठन
2019 के चुनाव के बाद कोई भी पार्टी बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई थी. चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी ने जेजेपी, हरियाणा लोकहित पार्टी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी. हालांकि, इस बार के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया और मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया.
प्रदेश में सियासी हलचल तेज
बीजेपी द्वारा मतदान की तारीख बदलने की मांग को लेकर सियासी हलचल और बढ़ गई है. विपक्ष इस मांग को बीजेपी की हार की स्वीकारोक्ति मान रहा है, जबकि बीजेपी का तर्क है कि मतदान की तिथि के आसपास छुट्टियों के कारण कम मतदान का डर है. अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस मांग पर क्या फैसला लेता है और आगामी चुनाव में कौन सी पार्टी सत्ता में आती है.