उम्रदराज शिक्षार्थी बनकर रचा था इतिहास, 101 साल की उम्र में ली अंतिम सांस…

Shankhdhar Shivi
By Shankhdhar Shivi

सबसे उम्रदराज छात्रा बनकर इतिहास रचने वाली 101 साल की कार्तियानी अम्मा अब इस दुनिया में नहीं रही हैं । कार्तियानी अम्मा के निधन के बाद केरल के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने शोक व्यक्त किया है।

तिरुवनंतपुरम: केरल राज्य साक्षरता अभियान के तहत सबसे उम्रदराज विद्यार्थी बनकर इतिहास रचने वाली 101 साल की कात्यायनी अम्मा का 10 अक्टूबर को तटीय अलप्पुझा में उनके आवास पर निधन हो गया। कार्त्यायनी अम्मा ने न केवल दक्षिणी राज्य के साक्षरता मिशन के तहत 96 साल की उम्र में सबसे उम्रदराज छात्रा होने के लिए प्रसिद्धि हासिल की थी, बल्कि उन्होंने चौथी कक्षा के समकक्ष परीक्षा ‘अक्षरलक्षम’ परीक्षा में उच्चतम अंक हासिल करने के लिए भी प्रसिद्धि हासिल की थी। ऐसी जानकारी है कि वह मस्तिष्काघात के बाद कुछ समय से बिस्तर पर थीं।

CM पिनाराई विजयन ने किया उन्हें याद…

कार्त्यायनी अम्मा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को उनसे हुई मुलाकात को याद किया। विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘उन शब्दों में आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प था।’ बता दें कि कार्थ्यायनी अम्मा ने सीएम से मुलाकात के दौरान 10वीं कक्षा पास करने के बाद आगे पढ़ने और नौकरी पाने की उनकी इच्छा व्यक्त की थी।

42 हजार उम्मीदवारों में से बनी थीं टॉपर..

साक्षरता परीक्षा (लिटरेसी परीक्षा) की आयोजन 5 अगस्त 2018 को हुआ था जिसमें करीब 42933 लोगों ने हिस्सा लिया था। अम्मा उन्हीं लोगों में से सबसे उम्रदराज महिला थीं। कार्तियानी अम्मा ‘चेप्पाड राजकीय एलपी स्कूल’ में परीक्षा में बैठी थीं. पढ़ने-लिखने को प्रेरित इस बुजुर्ग महिला ने 6 महीने पहले राज्य साक्षरता मिशन के एक कार्यक्रम में नामांकन कराया था। कार्तियानी अम्मा ने बताया था कि साक्षरता परीक्षा में 100 में 98 अंक आने पर वह काफी खुश हुई थी इसी के साथ वह 100 साल की उम्र तक कक्षा 10 को पास करना चाहती हैं। साक्षरता परीक्षा के लिए केरल सरकार ने ‘अक्षरालक्षम साक्षरता मिशन’ नाम का अभियान चलाया था, जिसका उद्देश्य केरल में 100 फीसदी साक्षरता करना है।

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कौन थी कात्यायनी अम्मा…

कात्यायनी अम्मा के निधन पर दुखी होते हुए, केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने उनके साथ हुई एक मुलाकात को याद किया, जिसमें वहने अपनी इच्छा व्यक्त की थी कि वह आगे पढ़ना चाहती हैं और 10वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद काम करना चाहती हैं। विजयन ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ‘उन शब्दों में स्वाभिमान और दृढ़ इरादा था।’ उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर भी एक शोक संदेश पोस्ट किया और कहा कि ‘कात्यायनी अम्मा चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई करने के अपने अटूट संकल्प के कारण कई लोगों के लिए प्रेरणादायक आदर्श बनीं।’

राज्य के शिक्षा मंत्री ने भी व्यक्त किया शोक…

राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने भी कार्त्यायनी अम्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया। मंत्री ने कहा, ‘अम्मा, जो उन परिस्थितियों में पली बढ़ीं जहां वह पढ़ाई नहीं कर सकीं और 96 साल की उम्र में साक्षर हुईं, दृढ़ संकल्प का प्रतीक हैं। केरल में अलाप्पुझा की हरिपद नगर पालिका की रहने वाली एक विधवा और छह बच्चों की मां कार्थ्यायनी अम्मा ने बच्चों के पालन-पोषण के लिए अपने गांव में मंदिरों के बाहर सड़कों पर झाड़ू तक लगाई।

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