Guru Ravidas Jayanti 2025: भारत की धरती पर कई महान गुरु हुए हैं, जिनमें से एक थे संत रविदास। उनके वचनों ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में एक अलौकिक प्रभाव छोड़ा। उनकी वाणी में ऐसी शक्ति थी कि जो भी उन्हें सुनता था, वह उनका मुरीद हो जाता था। संत रविदास जी ने अपनी भक्ति और उपदेशों के माध्यम से समाज में एक नई ज्योति जलाई, जो आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शन करती है। उनके दिए गए उपदेश आज भी समाज में समानता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करते हैं। संत रविदास जी की महानता का एहसास पूरी दुनिया करती है, और उनके सम्मान में हर साल रविदास जयंती मनाई जाती है।
रविदास जयंती का महत्व

रविदास जयंती हर साल माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो गुरु रविदास जी के जन्मदिन के रूप में श्रद्धा और सम्मान का पर्व बन चुका है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गुरु रविदास जी का जन्म हुआ था। इस दिन भक्त उनके जन्म स्थान पर एकत्र होते हैं और उनके जीवन, शिक्षाओं और उपदेशों का स्मरण करते हुए भव्य कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। यह दिन समाज में समानता और भक्ति के महत्व को उजागर करता है, जो संत रविदास जी ने अपने जीवन में दिखाया।
2025 में संत रविदास जयंती की तिथि
पंचांग के अनुसार 2025 में संत रविदास जयंती 12 फरवरी को मनाई जा रही है। पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी की शाम 6:55 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी की शाम 7:22 बजे तक रहेगी। इस दिन लाखों भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए संत रविदास जी के जन्म स्थान पर एकत्र होते हैं, जहां उनके जीवन और कार्यों पर चर्चा की जाती है और उनकी भक्ति की अलौकिक शक्ति का अनुभव किया जाता है।
संत रविदास का जन्म और जीवन

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के किसी गांव में हुआ था, जबकि कुछ विद्वानों का कहना है कि उनका जन्म 1399 ई. में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनका जीवन साधारण था, लेकिन उनका योगदान असाधारण था। गुरु रविदास जी ने समाज में फैले जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और समानता, भाईचारे तथा ईश्वर भक्ति का प्रचार किया।
गुरु रविदास जी का योगदान
गुरु रविदास जी ने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके भक्ति गीतों और उपदेशों को सिख धर्म की मुख्य पुस्तक गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया। संत रविदास ने धर्म, जाति और समुदाय के भेदभाव को नकारते हुए सभी को एक समान माना। वह समाज में व्याप्त असमानताओं को समाप्त करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे।
संत रविदास जी का व्यक्तिगत जीवन
मान्यताओं के अनुसार, गुरु रविदास जी के पास विशेष शक्तियां थीं। कहा जाता है कि वह कुष्ठ रोग का इलाज भी कर सकते थे और उनके पास रोगियों को ठीक करने की प्राकृतिक शक्ति थी। उनका दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक और सहायक था। गुरु रविदास जी का विवाह श्रीमती लोना देवी से हुआ था, और उनका एक पुत्र भी था, जिसका नाम विजयदास रखा गया था।
समाज सुधारक के रूप में गुरु रविदास जी

गुरु रविदास जी ने समाज में समानता का संदेश दिया और धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को नकारा। 15वीं शताब्दी के इस महान संत ने अपने वचनों और उपदेशों के माध्यम से समाज को एकजुट किया और भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। संत रविदास जी ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्चे भक्त को जाति, धर्म या समाज के भेदभाव से ऊपर उठकर सिर्फ एक परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए।
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