Gupt Navratri 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन नवरात्रि व्रत को खास माना गया है, जो कि साल में चार बार पड़ती है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है।
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। जो कि तंत्र मंत्र के लिए खास मानी जाती है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं, ऐसे में हम आपको गुप्त नवरात्रि की तारीख और कलश स्थापना की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
Read more: Gupt Navratri 2025: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से हो रही शुरु? देखें दिन तारीख और मुहूर्त
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाएगा। इस बार यह पर्व 26 जून से आरंभ होकर 4 जुलाई तक चलेगा। इस नौ दिनों में भक्त रोजाना माता की पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान दस महाविद्याओं की आराधना करने की भी विशेष पंरपरा है।
कैसे करें कलश स्थापना?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें अब पूजा स्थल पर कलश स्थापना करना चाहते हैं तो उस स्थान को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कर पवित्र करें। इस स्थान पर लकड़ी का एक बड़ा पटिया रखकर इसके ऊपर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर मिट्टी से बनी मटकी को इस तरह रखें कि ये हिले डुले नहीं। इस मटकी को शुद्ध जल से भर लें। मटकी में थोड़ा सा गंगाजल डालें। साथ ही चावल, फूल, दूर्वा, कुमकुम, साबूत हल्दी और पूजा की सुपारी डालें।
अब कलश पर नारियल रखकर इसे ढंक दें। इस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं और मुख पर पूजा का धागा बांध दें। नारियल पर भी कुमकुम से तिलक लगाएं ऐसा करते वक्त मंत्र का जाप करें।
मंत्र जाप
ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा।
दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।।
ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
ओम अपां पतये वरुणाय नमः
इसके बाद घी का दीपक जलाकर कलश के पास रखें। ये दीपक पूरे नौ दिनों तक लगातार जलते रहना चाहिए। इसके बाद माता की आरती करें साथ ही दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप भी करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है।प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।