Prime Chaupal: लखनऊ के विकास खंड गोसाईगंज की ग्राम पंचायत बेगरियामऊ की स्थिति आज भी बद से बदतर बनी हुई है। गांव में न तो इंटरलॉकिंग सड़कें हैं और न ही नियमित सफाई व्यवस्था। नालियों में प्लास्टिक और कूड़े का अंबार है, जिससे गंदगी फैल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सफाईकर्मी महीनों से नहीं आए, जिससे वे खुद नालियों की सफाई करने को मजबूर हैं।
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सरकारी दावों की खुली पोल

जहां एक ओर सरकार गांवों के समग्र विकास के लिए योजनाएं बना रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। जिन अधिकारियों और ग्राम प्रतिनिधियों को विकास कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे अपने दायित्वों से मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ गांव तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।
विकलांग ग्रामीण की मार्मिक अपील
गांव में एक विकलांग व्यक्ति ने हाथ जोड़कर ग्राम प्रधान से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। एक पैर से विकलांग यह ग्रामीण और उसका परिवार बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यह न केवल सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता को उजागर करता है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करता है।
हर घर में शिकायतों का अंबार, पर समाधान कोई नहीं

गांव में हमारी टीम के पहुंचते ही बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं ने खुलकर अपनी समस्याएं साझा की। बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतें आज भी अधूरी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारें बजट तो देती हैं, लेकिन वह पैसा जमीन पर कहीं नजर नहीं आता। यहां तक कि जिन जमीनों पर उनका हक था, उन्हें भी दबा लिया गया है।
बेगरियामऊ ही नहीं, अन्य गांव भी बदहाली की चपेट में

आपको बता दे कि, बेगरियामऊ की हालत कोई अपवाद नहीं है। विकास खंड के कई गांव विकास से अछूते हैं और व्यवस्था की पकड़ से बाहर दिखते हैं। हर गली, हर मोहल्ले में अव्यवस्थाओं का मकड़जाल बिछा है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब सरकार ऐसे गैर-जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगी?
सरकारी दावे बनाम ज़मीनी सच्चाई: कौन जिम्मेदार?

सरकार की ओर से चलाए जा रहे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का लाभ बेगरियामऊ जैसे गांवों तक नहीं पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि कहीं न कहीं जिम्मेदारी निभाने में भारी चूक हो रही है। अब जरूरत है कि शासन-प्रशासन आंखें खोले और ज़मीनी हकीकत का जायजा लेकर दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई करे, ताकि ग्रामीणों को उनका हक मिल सके।
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