गौतम अडानी ने श्रीलंका के लिए 4691 करोड़ रुपये का ऋण रद्द करने का बड़ा फैसला लिया है, जो यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) से पहले से नियोजित था। इस निर्णय के तहत, अडानी समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने श्रीलंका में स्थित कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल परियोजना को पूरी तरह से अपनी आंतरिक संसाधनों से वित्तपोषित करने का ऐलान किया है।
यह कदम कंपनी की पूंजी प्रबंधन रणनीति के तहत लिया गया है और इसका उद्देश्य वित्तीय स्वतंत्रता और रणनीतिक लचीलापन बनाए रखना है। इस निर्णय से अडानी पोर्ट्स के शेयरों में थोड़ी गिरावट आई है, जो रिपोर्टिंग समय में 1.12% गिरकर 1,234.80 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल परियोजना अडानी के अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और आंतरिक रूप से इसका वित्तपोषण करके कंपनी अपनी वित्तीय संरचना को भी मजबूत करना चाहती है। यह परियोजना अडानी के बंदरगाहों और रसद क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
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अमेरिकी सौदे से इनकार किया
बता दे, मंगलवार को देर से एक्सचेंज फाइलिंग में, अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने इसकी घोषणा की और बोले कि…. श्रीलंका में स्थित कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल परियोजना “अगले साल की शुरुआत में चालू होने के लिए तैयार है”। कंपनी ने यह भी बताया कि, वह अपनी पूंजी प्रबंधन रणनीति के अनुसार इस परियोजना को आंतरिक स्रोतों से वित्तपोषित करेगी। इसके साथ ही, कंपनी ने 2023 के लिए अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम (DFC) से पहले निर्धारित वित्तपोषण के लिए अपना अनुरोध वापस ले लिया है।यह निर्णय कंपनी की वित्तीय संरचना को सुव्यवस्थित करने और अपनी वित्तीय स्वतंत्रता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। APSEZ का यह कदम अपनी परियोजना में गहरी प्रतिबद्धता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल द्वारा मामले की हुई समीक्षा
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम (DFC) ने पिछले साल नवंबर में श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर स्थित कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) के विकास, निर्माण और संचालन के लिए 553 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण देने पर सहमति जताई थी। यह परियोजना अडानी पोर्ट्स, श्रीलंकाई समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के एक संघ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जा रही है।यह ऋण वित्तपोषण क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा था और इसे अडानी के विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने की क्षमता को समर्थन देने के रूप में देखा गया था।
हालांकि, डीएफसी द्वारा यह अनुरोध किए जाने के बाद कि अडानी और SLPA के बीच समझौते को उनकी शर्तों के अनुरूप संशोधित किया जाए, ऋण प्रक्रिया रुक गई। इसके बाद श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल द्वारा इस मामले की समीक्षा की गई।चूंकि परियोजना पूरी होने के करीब है और अडानी पोर्ट्स के पास इस उद्यम का 51 प्रतिशत हिस्सा है, कंपनी ने डीएफसी से वित्तपोषण के बिना इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। इसके बाद, अडानी पोर्ट्स ने आंतरिक स्रोतों से परियोजना को वित्तपोषित करने का विकल्प चुना, जिससे यह परियोजना बिना बाहरी ऋण के सफलतापूर्वक पूरी हो सके।
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अदानी समूह के खिलाफ अमेरिकी एजेंसी
अभ्बी हाल ही में, अमेरिकी एजेंसी ने कहा था कि, वह अदानी समूह के अधिकारियों के खिलाफ रिश्वत के आरोपों के “प्रभावों का सक्रिय रूप से आकलन” कर रही है। अब तक, इस एजेंसी ने अदानी समूह के बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा परियोजनाओं तक के किसी भी हिस्से को वित्तीय सहायता नहीं दी है। आपको बतादे कि , पिछले महीने, अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी तथा सात अन्य के खिलाफ आरोप लगाए थे।
इन आरोपों के तहत, इन व्यक्तियों पर भारतीय अधिकारियों को आकर्षक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप था, जिससे 20 वर्षों में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लाभ होने की संभावना जताई जा रही थी। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया और उनका ऐसा जोर था कि वे सभी संभव कानूनी उपायों का सहारा लेंगे।
मुकाबला के लिए रणनीतिक कदम
कोलंबो बंदरगाह, जो हिंद महासागर में सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह है, 2021 से 90 प्रतिशत से अधिक क्षमता पर काम कर रहा है। यह इस बात का संकेत है कि, बंदरगाह को अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता है, और इसका विस्तार अडानी समूह के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। श्रीलंका में स्थित यह परियोजना, जो भू-राजनीतिक दृष्टि से भी संवेदनशील है, अमेरिका द्वारा चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखी जा रही है।
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बंगाल की खाड़ी में बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को पूरा करेगा
कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) परियोजना का पहला चरण 2025 की पहली तिमाही तक व्यावसायिक रूप से चालू होने की उम्मीद है। यह नया टर्मिनल बंगाल की खाड़ी में बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की जरूरतों को पूरा करेगा, जो प्रमुख शिपिंग मार्गों पर श्रीलंका की प्रमुख स्थिति और इन बढ़ते बाजारों से इसकी निकटता का लाभ उठाएगा।कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल परियोजना का शुभारंभ सितंबर 2021 में हुआ था, जब अडानी पोर्ट्स ने श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और श्रीलंकाई समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत, कोलंबो पोर्ट की क्षमताओं का विस्तार करने के लिए 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया गया था। यह परियोजना न केवल श्रीलंका के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार के लिए भी एक प्रमुख भूमिका निभाएगी।