Wakf Amendment Bill: गुरुवार को संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने वक्फ अमेंडमेंट बिल (Wakf Amendment Bill ) पर अपनी पहली बैठक आयोजित की। इस बैठक में भारत सरकार के अल्पसंख्यक और कानून मंत्रालयों के अधिकारियों ने मसौदे पर अपनी प्रेजेंटेशन पेश की। भाजपा सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को लोकसभा ने इस बिल की जांच का जिम्मा सौंपा है। इस बिल के खिलाफ विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है। बैठक के बाद मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि समिति के सदस्य इस मुद्दे पर कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे। वहीं, कई सदस्य मंत्रालय की प्रेजेंटेशन से असंतुष्ट दिखे। विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया कि मंत्रालय के प्रतिनिधि बिना तैयारी के बैठक में पहुंचे थे और उनकी बातें स्पष्ट नहीं थीं।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रियाएं
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस और अन्य दलों का विरोध इस मुद्दे पर स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि ये दल हर धर्म के लोगों को अपने मजहब पर चलने की आजादी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें सेकुलर दलों से समर्थन मिला है, तो उन्होंने कहा कि वे कभी नहीं कह सकते कि मुसलमानों के वोट से कोई जीतता है या मुस्लिम एकता के कारण। उन्होंने कहा कि सेकुलर दलों की एकता ने यह सुनिश्चित किया कि हर धर्म के लोगों को उनके धर्म के अनुसार जीने की आजादी मिले।
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JPC की मीटिंग पर मौलाना मदनी की आपत्ति
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाना खतरनाक है, और उनका ऐसा मकसद सफल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता ने इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को नकारा और भाजपा को शिकस्त दी। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में बैठे लोगों का नफरत फैलाना देश के लिए खतरनाक है और हर अल्पसंख्यक के लिए चुनौतीपूर्ण है।
अल्पसंख्यक संगठनों की चिंताएँ
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बैठक के लिए इनवाइट न मिलने की बात कही और कहा कि उन्होंने इसके लिए एक डॉक्यूमेंट तैयार किया है। उनका मानना है कि इस बिल को वापस किया जाना चाहिए। उन्होंने नेहरू और गांधी के समय से संविधान को सेकुलर बनाए रखने की महत्वपूर्णता की बात की और स्वतंत्रता संग्राम की कुर्बानियों का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि स्वतंत्रता के बाद देश का दस्तूर कैसा होगा। इस प्रकार, वक्फ अमेंडमेंट बिल (Wakf Amendment Bill) पर पहली JPC बैठक ने सरकार और विपक्ष के बीच टकराव को उजागर किया है, और मुस्लिम संगठनों ने अपने आपत्ति और चिंताओं को स्पष्ट किया है।